सूरत : विवाहेतर संबंध में जन्मे पुत्र को कोर्ट ने माना सबूत, पति को तलाक मिला
पत्नी ने गुजारा भत्ता लेने से किया इनकार, कोर्ट ने पति की तलाक याचिका मंजूर की
सूरत। फैमिली कोर्ट ने एक संवेदनशील तलाक मामले में पति के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें पत्नी के विवाहेतर संबंधों और दूसरे पुरुष से संतान जन्म की बात सामने आई थी। कोर्ट ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए पति की तलाक याचिका को मंजूर कर लिया।
मूल रूप से वेसु क्षेत्र के निवासी राजेश (परिवर्तित नाम) की शादी वर्ष 2009 में आशा (परिवर्तित नाम) से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद तक दोनों का दांपत्य जीवन सामान्य रहा और एक पुत्र का जन्म भी हुआ। विवाह के बाद पत्नी संयुक्त परिवार में रहने लगी, परंतु समय के साथ उसका व्यवहार बदल गया।
पति की याचिका के अनुसार, पत्नी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने लगी और उस पर घर जमाई बनने का दबाव डालने लगी। इतना ही नहीं, पत्नी और उसके मायके पक्ष के लोग पति व ससुराल पक्ष को दहेज के झूठे मामले में फंसाने की धमकियाँ भी देने लगे। इसके बावजूद पति ने वैवाहिक संबंध बचाने के प्रयास किए और पत्नी की बातों पर भरोसा करते हुए वर्ष 2011 में घर जमाई बनकर उसके साथ रहने लगा।
इसके बाद पति को पत्नी और एक अन्य व्यक्ति विजय सोनी के बीच अवैध संबंधों की जानकारी मिली। पत्नी ने सफाई देने के बजाय पति को ही घर से निकाल दिया और उस पर झूठे आरोप लगाते हुए न्यायालय में केस दर्ज कराया। बाद में यह भी सामने आया कि पत्नी को विजय सोनी से एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका पिता विजय और माता आशा सोनी के रूप में जन्म प्रमाण पत्र में उल्लेख था।
पत्नी ने बिना कारण गुजारा भत्ता लेने से इनकार किया और पति से अलग रहकर विजय सोनी के साथ जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद पति ने एडवोकेट प्रीति जिग्नेश जोशी के माध्यम से सूरत फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दाखिल की।
अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ए.एस. देसाई की अदालत ने मामले में सभी तथ्यों का संज्ञान लेते हुए कहा कि पत्नी ने अपने विवाहेतर संबंध से जन्मे पुत्र को स्वीकार किया है, जो वैवाहिक विश्वास के उल्लंघन का स्पष्ट प्रमाण है। कोर्ट ने माना कि इस परिस्थिति में वैवाहिक संबंधों का जारी रहना असंभव है, और इसलिए याचिकाकर्ता पति को तलाक देने का निर्णय उचित है।
याचिकाकर्ता पति की ओर से केस की पैरवी अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने की, जिन्होंने सभी तथ्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
(नोट: गोपनीयता हेतु नाम बदले गए हैं।)