वैश्य समाज की उपेक्षा के खिलाफ उठी आवाज: दिलीप जायसवाल ने उठाए तीखे सवाल

राजनीतिक उपेक्षा और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, वैश्यों को संगठित होने का आह्वान

वैश्य समाज की उपेक्षा के खिलाफ उठी आवाज: दिलीप जायसवाल ने उठाए तीखे सवाल
दिलीप जायसवाल

मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर, उत्तर प्रदेश के दिलीप जायसवाल, (सदस्य, राष्ट्रीय कार्य समिति, अखिल भारतीय हमारा समाज पार्टी ) के पिछले कई सालों से सूरत में अपना कारोबार कर अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे है । लोकतेज से बात करते हुए कहा कि वैश्य समाज की उपेक्षा और लगातार हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए अखिल भारतीय हमारा समाज पार्टी के राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य दिलीप जायसवाल ने कुछ तीखे सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नौकरशाही और अफसरशाही के माध्यम से वैश्यों को प्रताड़ित किया जा रहा है, वह बेहद चिंताजनक है।और यहां तक की कोई भी असामाजिक तत्व वैश्यों को सबसे आसान चार समझ कर सताते हैं अथवा शोषण करते हैं ! और उनकी कोई सुनने वाला नहीं जायसवाल ने कहा, "वैश्य स्वभाव से झगड़ालू नहीं होते, वे विवादों से दूर रहना चाहते हैं। इसी शांत स्वभाव और राजनीतिक पकड़ की कमी का फायदा उठा कर अन्य राजनीतिक दल वैश्यों का केवल उपयोग कर रहे हैं, संरक्षण नहीं।"

और इसी से बचने के लिए वह तमाम राजनीतिक दलों में अपनी पहचान और पकड़ बनाना चाहते हैं जिससे कि वह इन समस्याओं से दूर रहे उनकी इसी कमजोरी का लाभ तमाम राजनीतिक दल पूरी शिद्दत से उठते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वैश्यों को सिर्फ दरी-चादर बिछाने, नेताओं की सेवा, भोजन व विश्राम व्यवस्था और चंदा जुटाने तक सीमित कर दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे समाज ने हिंदुत्व की जिम्मेदारी अकेले अपने कंधों पर ले ली हो, और बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिलता न प्रतिनिधित्व, न सम्मान, न ही सुरक्षा।

क्या वैश्य समाज का काम सिर्फ अन्य पार्टियों की सेवा करना रह गया है? क्या वैश्यों को केवल चुनावी फंड और चंदे के लिए याद किया जाता है? क्या कोई दल वैश्य समाज की सुरक्षा, प्रतिष्ठा और भागीदारी के लिए गंभीर है?

ऐसे बहुत सारे ज्वलंत सवाल है जिसका जवाब उन पार्टियों के नेताओं के पास या खुद अपने समाज के लोगों के पास भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्य समाज अपने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हितों के लिए स्वयं संगठित हो, और ऐसी पार्टियों को समर्थन दें जो वास्तव में उनके मुद्दों को उठाने का साहस रखें।

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