सूरत : डिंडोली में बंद पड़े स्कूल में RTE के तहत कराया गया एडमिशन, DEO ने जांच के आदेश दिए

बैंक ने स्कूल पर 1.66 करोड़ की वसूली निकाल सील किया, छात्र को फिर भी मिला प्रवेश शिक्षा विभाग की गंभीर भूल

सूरत : डिंडोली में बंद पड़े स्कूल में RTE के तहत कराया गया एडमिशन, DEO ने जांच के आदेश दिए

सूरत : सूरत जिले में शिक्षा विभाग की प्रशासनिक लापरवाही और कुप्रबंधन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहर के डिंडोली क्षेत्र में रहने वाले एक अभिभावक ने अपने बच्चे के लिए आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत ऑनलाइन फॉर्म भरा था, जिसमें देलाडवा गांव स्थित साउथ इंडियन मॉडर्न स्कूल का चयन हुआ था।

चौंकाने वाली बात यह है कि यह स्कूल काफी समय से बंद पड़ा है और बैंक ने 1.66 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस जारी कर इसे सील कर दिया है। इसके बावजूद, छात्र को आरटीई के तहत उसी बंद स्कूल में प्रवेश दे दिया गया। मामला प्रकाश में आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।

देलाड़वा गांव स्थित इस निजी स्कूल ने समय पर ऋण नहीं चुकाया, जिसके कारण बैंक ने 1.66 करोड़ रुपये की रिकवरी जारी की और स्कूल की संपत्ति को सील कर दिया, जिससे स्कूल लंबे समय के लिए बंद हो गया। इसके बावजूद सूरत जिला शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूल को आरटीई के तहत प्रवेश दे दिया, जिस पर भारी हंगामा मच गया है।

जब अभिभावक अपने बच्चे के साथ स्कूल में प्रवेश की पुष्टि के लिए पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि स्कूल की इमारत सील है और उस पर बैंक का नोटिस लगा हुआ है। मौके पर कोई भी शिक्षा-संबंधी कर्मी मौजूद नहीं था। इस घटना से अभिभावकों में भारी आक्रोश फैल गया है, और लोग सवाल उठा रहे हैं कि "स्कूल की पृष्ठभूमि की जांच किए बिना उसका चयन आरटीई के तहत कैसे किया जा सकता है?"

जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने पूरे मामले का आरोप सीआरसी कर्मचारी पर लगाया है। डीईओ के अनुसार, सीआरसी में हाल ही में भर्ती हुई थी और नए कर्मचारी की गलती के कारण स्कूल का चयन हुआ है।

अब डीईओ द्वारा साउथ इंडियन पब्लिक स्कूल के संबंध में विशेष जांच की जा रही है। स्कूल की स्थिति, बंद होने की सीमा, बैंक की कार्रवाई और आरटीई नियमों के उल्लंघन के आधार पर स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है।

डीईओ भगीरथ परमार ने स्पष्ट कहा है कि यदि 1 जून 2025 तक स्कूल अपने मूल स्थान पर शुरू नहीं हुआ तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। वर्तमान में स्कूल में पढ़ रहे सभी छात्रों को निकटवर्ती किसी अन्य मान्यता प्राप्त स्कूल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे समय में जब शिक्षा के अधिकार के तहत हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा किया जा रहा है, बंद और सीलबंद स्कूलों को आवंटित करना प्रशासनिक अक्षमता और गैरजिम्मेदारी का गंभीर संकेत है।

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