सूरत में धर्मार्थ ट्रस्टों पर कर कानून और चैटजीपीटी की भूमिका पर सेमिनार आयोजित
एसजीसीसीआई और एसजीआईटीबीए की संयुक्त पहल; सीए विशेषज्ञों ने आयकर अधिनियम और डिजिटल तकनीक के उपयोग पर दी विस्तृत जानकारी
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) और दक्षिण गुजरात आयकर बार एसोसिएशन (SGITBA) की संयुक्त पहल पर बुधवार को सूरत के नानपुरा स्थित समृद्धि भवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों पर आधारित स्टडी सर्कल श्रृंखला के तहत एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार में दो प्रमुख विषयों धर्मार्थ ट्रस्टों से संबंधित आयकर कानून और व्यापारिक व्यवहार में चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स की भूमिका पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने प्रकाश डाला।
सीए सुरेश काबरा ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कोई ट्रस्ट अप्रैल माह तक अपना आयकर कार्य पूर्ण कर लेता है, तो आगे की प्रक्रिया सहज हो जाती है। उन्होंने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 10(23सी) और 11 के तहत यदि ट्रस्ट की आय धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों में व्यय होती है, तो वह कर योग्य नहीं मानी जाती। ट्रस्ट को अपनी कुल आय का कम से कम 85% धर्मार्थ उद्देश्यों में व्यय करना अनिवार्य होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि 2 करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले ट्रस्टों के लिए ऑडिट अनिवार्य है और इसके लिए फॉर्म 10बी और 10बीबी दाखिल करना आवश्यक होता है। धारा 80जी के अंतर्गत मान्यता प्राप्त ट्रस्टों को दान देने वाले दानदाताओं को आयकर में छूट प्राप्त होती है, जो 50% से 100% तक हो सकती है।
वहीं, सीए जॉनी जैन ने अपने सत्र में चैटजीपीटी की व्यावसायिक व्यवहार में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे चैटजीपीटी डेटा प्रबंधन, दस्तावेज़ निर्माण, प्रश्नों के त्वरित उत्तर और 24x7 सुविधा देकर कारोबार को अधिक दक्षता और नवाचार की दिशा में अग्रसर करता है।
उन्होंने GPT-4 की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि यह महत्वपूर्ण ईमेल और जानकारी के साथ उपयोगकर्ता को अपडेट रखता है, जिससे व्यवसायिक निर्णय लेना आसान हो जाता है।
सेमिनार की शुरुआत में स्वागत भाषण चैंबर सदस्य धीरेन थारनारी ने दिया। वक्ताओं का परिचय एसजीआईटीबीए के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल शाह और मानद कोषाध्यक्ष एडवोकेट निखिल पाटकर ने कराया। सेमिनार का संचालन चैंबर की आयकर समिति के सह-अध्यक्ष दीपेश शकवाला ने किया, जबकि समापन पर धन्यवाद ज्ञापन एडवोकेट अमरेश उपाध्याय ने प्रस्तुत किया।
यह सेमिनार न केवल कर विशेषज्ञों के लिए बल्कि व्यवसायिक समुदाय के लिए भी अत्यंत ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ।