सूरत में अप्रत्यक्ष कर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर जागरूकता सेमिनार का आयोजन
एसजीसीसीआई और एसजीआईटीबीए की संयुक्त पहल, विशेषज्ञों ने जीएसटी अपीलों और सीए पेशे में एआई की भूमिका पर डाली रोशनी
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) और दक्षिण गुजरात इनकम टैक्स बार एसोसिएशन (SGITBA) की संयुक्त पहल पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय था अप्रत्यक्ष कर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभाव। यह आयोजन ‘स्टडी सर्कल सीरीज’ के अंतर्गत किया गया, जिसमें कानूनी और तकनीकी विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में अधिवक्ता हेमंत देसाई ने जीएसटी अपील प्रक्रिया की बारीकियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 107 के अनुसार, अपील दायर करने के लिए तीन महीने का समय निर्धारित है, जिसे वैध कारण होने पर एक माह तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने अपील अस्वीकृति के सामान्य कारणों का भी उल्लेख किया, जैसे समय सीमा का पालन न करना, अपूर्ण दस्तावेज, अग्रिम राशि का भुगतान न करना आदि।
इसके साथ ही उन्होंने धारा 161 और 169 के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी और 'दर्शन सिंह बनाम पंजाब राज्य' एवं 'फिलिप्स इंडिया लिमिटेड बनाम श्रम न्यायालय' जैसे महत्त्वपूर्ण मामलों का हवाला दिया।
सेमिनार के दूसरे सत्र में सीए मंथन चावत ने एआई की मदद से चार्टर्ड अकाउंटेंसी पेशे में आ रहे बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पारंपरिक सीए गतिविधियाँ अब तकनीकी सहायता से अधिक प्रभावी होंगी। भविष्य में वर्चुअल CFO, डेटा एनालिस्ट और एआई-आधारित जोखिम विश्लेषक जैसे नए प्रोफेशनल रोल्स उभरेंगे।
उन्होंने बताया कि AI के प्रयोग से न केवल कार्यों में तेजी आती है, बल्कि त्रुटियाँ भी कम होती हैं। साथ ही यह क्लाइंट से बेहतर संवाद, रिपोर्ट ऑटोमेशन, नकदी प्रवाह का पूर्वानुमान, धोखाधड़ी की पहचान और एनएलपी आधारित कानूनी विश्लेषण जैसे कार्यों में भी मदद करता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ चैंबर ऑफ कॉमर्स के ग्रुप चेयरमैन मितिष मोदी के स्वागत भाषण से हुआ। आयोजन में SGITBA के अध्यक्ष कुलीन पाठक, पूर्व अध्यक्ष रेखांक कायस्थ, समिति सदस्य अमरेश उपाध्याय और अन्य कर व्यवसायी उपस्थित रहे। संचालन दीपेश शकवाला ने किया और धन्यवाद ज्ञापन निखिल पाटकर द्वारा दिया गया।