सूरत : एसजीसीसीआई का ‘ज्ञान, आशीर्वाद और आध्यात्मिक ध्यान’ कार्यक्रमः उद्यमियों को दिया मार्गदर्शन
प्रबोधजीवन स्वामीजी और कृष्ण मजीठिया ने अहंकार से बचने, 3D सिद्धांत और स्पष्ट निर्णय क्षमता पर बल दिया
सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) ने गुरुवार, 1 मई 2025 को सेमिनार हॉल–ए, एसआईईसीसी परिसर में ‘ज्ञान, आशीर्वाद और आध्यात्मिक ध्यान’ विषयक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संप्रदाय के विद्वान संत परम पूज्य प्रबोधजीवन स्वामीजी तथा सिटीबैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक कृष्ण मजीठिया ने सूरत के उद्यमियों और व्यापारियों को उद्योग, व्यावसायिक नैतिकता व आध्यात्मिक संतुलन के महत्व पर प्रकाश डाला।
एसजीसीसीआई के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने स्वागत भाषण में कहा कि आज व्यवसाय में भी आध्यात्मिकता का समावेश आवश्यक हो गया है। स्वामीजी के आदर्श हमें व्यवसाय में नैतिकता बनाए रखने और जीवन में स्थिरता बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।
परम पूज्य प्रबोधजीवन स्वामीजी ने अपने औचित्यपूर्ण विचारों में कहा कि व्यक्ति को व्यवसायिक और सामाजिक जीवन में अहंकार से दूर रहना चाहिए, क्योंकि अहंकार केवल हानि ही पहुंचाता है। उन्होंने युवाओं को अच्छी संगति बनाए रखने और सोशल मीडिया के मोह से बचकर उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होने की सलाह दी। स्वामीजी ने स्पष्ट निर्णय लेने की क्षमता को किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए अनिवार्य बताया।
मुख्य वक्ता कृष्ण मजीठिया ने कहा कि सभी व्यवसायों में धर्म और सत्संग की भूमिका अहम है। आध्यात्मिक ज्ञान व्यक्ति को परिस्थितियों के अनुकूल बनना सिखाता है। उन्होंने व्यवसाय एवं सामाजिक जीवन में सफलता के लिए ‘3D’ गंतव्य, दिशा और दृढ़ संकल्प की अवधारणा प्रस्तुत की और महाभारत के दृष्टांतों के माध्यम से नेतृत्व एवं सकारात्मकता के गुण समझाए।
चैंबर के मानद मंत्री नीरव मंडलेवाला ने बताया कि जब नैतिक आध्यात्मिकता को व्यावसायिक मानकों के साथ जोड़ा जाता है, तो सफलता अनिवार्य हो जाती है। उन्होंने चैंबर की गतिविधियों व आगामी योजनाओं का भी संक्षिप्त परिचय दिया।
कार्यक्रम का संचालन ग्रुप चेयरमैन मनीष कपाड़िया ने किया, जबकि पूर्व अध्यक्ष रमेश वघासिया ने उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर मानद कोषाध्यक्ष मृणाल शुक्ल, मैत्रिय जीवन स्वामी, गुरुप्रसाद स्वामी सहित अनेक उद्यमी एवं व्यापारी मौजूद थे।