सूरत : मौत के बाद भी मानवता की मिसाल, ब्रेईन डेड शिक्षिका से पांच जिंदगियां रोशन
गुरुकुल प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका नम्रता पांचाल के अंगदान से 5 मरीजों को मिला नया जीवन
सूरत : टेक्सटाइल और डायमंड के लिए प्रसिद्ध सूरत शहर अब अंगदान की मानवतावादी पहल में भी अग्रणी बनता जा रहा है। हाल ही में वापी के गुरुकुल विद्यालय की प्राथमिक शिक्षिका नम्रता भाविन पांचाल के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके परिवार ने डोनेट लाइफ संस्था के माध्यम से उनकी किडनी, लिवर और आंखें दान कर पाँच जरूरतमंद लोगों को जीवनदान दिया।
44 वर्षीय नम्रताबेन, जो वापी के छारवाड़ा रोड स्थित कृष्णा कृपा रेजिडेंसी में रहती थीं, को 25 अप्रैल को असहनीय सिरदर्द और उल्टी के बाद हरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रारंभिक उपचार के बाद घर लौटने पर उनकी हालत फिर बिगड़ी और न्यूरोफिजिशियन द्वारा जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि मस्तिष्क की एक रक्त वाहिका फट चुकी थी। इलाज के लिए उन्हें सूरत के मैत्रेय मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल लाया गया, जहां 26 अप्रैल को उनकी ब्रेन सर्जरी की गई। हालांकि, 8 मई को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
नम्रता के पति भाविनभाई और परिजनों ने डोनेट लाइफ संस्था के प्रतिनिधियों से चर्चा कर अंगदान की प्रक्रिया को स्वीकृति दी। भाविनभाई, जो वापी स्थित एक फार्मास्युटिकल कंपनी में सहायक प्रबंधक हैं, ने कहा, "हमने अस्पताल में लगातार अंगदान के पोस्टर देखे और महसूस किया कि अंगदान एक दिव्य कार्य है। मेरी पत्नी के अंगों से किसी को जीवन मिले, इससे बड़ा पुण्य और क्या हो सकता है।"
डोनेट लाइफ के संस्थापक नीलेश मंडलेवाला की देखरेख में लीवर, किडनी और आंखों का दान सुनिश्चित किया गया। लीवर और एक किडनी अहमदाबाद के अपोलो अस्पताल को भेजे गए, लेकिन तकनीकी कारणों से लीवर को ज़ाइडस अस्पताल को स्थानांतरित किया गया। किडनी की एचएलए रिपोर्ट के आधार पर दोनों किडनी जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपित की गईं। नेत्रदान लोक दृष्टि आई बैंक के डॉ. प्रफुल शिरोया ने स्वीकार किया।
ओडिशा निवासी एक 53 वर्षीय मरीज को लीवर प्रत्यारोपण से नया जीवन मिला। अंगों को समय पर अहमदाबाद पहुंचाने के लिए सूरत पुलिस द्वारा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जो कि सूरत से अहमदाबाद तक के लिए 134वां ग्रीन कॉरिडोर था।
नम्रता पांचाल की यह प्रेरक कहानी केवल अंगदान नहीं, बल्कि शिक्षक की भूमिका को मृत्यु के बाद भी जीवित रखने का संदेश देती है। उनके इस निर्णय ने समाज को एक नई दिशा और नई उम्मीद दी है।