राजकोट के ‘सरस मेला’ की अवधि बढ़ी, अब 15 मई तक ले सकेंगे ग्रामीण हस्तशिल्प का आनंद
मिशन मंगलम द्वारा आयोजित मेले में राज्य के 100 से अधिक सखी मंडल की महिलाओं को आत्मनिर्भरता का अवसर
राजकोट के रेसकोर्स मैदान पर आयोजित ‘सरस मेला-2’ को जनता की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब इसकी अवधि 10 दिन बढ़ाकर 15 मई तक कर दी गई है। यह निर्णय आयोजनकर्ता गुजरात लाइवलीहुड प्रमोशन कंपनी लिमिटेड (GLPC) और राजकोट जिला ग्रामीण विकास एजेंसी द्वारा लिया गया है।
सरस मेला 25 अप्रैल से 4 मई तक आयोजित किया गया था, जिसमें राज्य के 50 से अधिक सखी मंडलों की महिलाओं ने अपने हस्तशिल्प उत्पाद बेचकर लगभग रु.59.50 लाख की बिक्री दर्ज की। अब अगले दस दिनों में लगभग 50 नए सखी मंडल की महिलाओं को भी अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा।
61 स्टॉलों वाला यह मेला ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक सफल पहल बनकर उभरा है। इसमें 50 हस्तशिल्प स्टॉल के अलावा 11 लाइव फूड स्टॉल भी शामिल हैं, जिन पर स्थानीय व्यंजन और स्वादिष्ट पकवानों की भी खूब बिक्री हुई।
गुजरात सरकार ने 2010 में ‘मिशन मंगलम’ की शुरुआत ग्रामीण महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए की थी। इसके अंतर्गत महिलाओं को प्रशिक्षण, ऋण, चक्रीय निधि और विपणन सहायता दी जाती है।
राजकोट जिले में कुल 5,238 सक्रिय सखी मंडल कार्यरत हैं। ये महिलाएं ऊनी काम, इमिटेशन ज्वेलरी, आयुर्वेदिक उत्पाद, लकड़ी के खिलौने, अगरबत्ती, ऑक्सीडाइज्ड गहने जैसी वस्तुएं तैयार करती हैं। तालुका-वार सखी मंडलों की संख्या के अनुसार धोराजी में 328, गोंडल में 757, जामकंडोरणा में 320, जसदण में 784, जेतपुर में 428, कोटडा सांगाणी में 427, लोधिका में 397, पदधरी में 426, राजकोट में 583, उपलेटा में 333 और विंछिया तालुका में 455 सखी मंडल कार्यरत हैं। मेला केवल विक्रय का मंच नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘महिला स्वावलंबन’ के दृष्टिकोण को धरातल पर साकार कर रहा है।