भारत में पहला टेक्सटाइल-टू-टेक्सटाइल रीसाइक्लिंग प्लांट: एस्टर इंडस्ट्रीज और लूप इंडस्ट्रीज की साझेदारी
नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2025: भारत में टेक्सटाइल कचरे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। एस्टर इंडस्ट्रीज और कनाडा की लूप इंडस्ट्रीज ने मिलकर एक 50:50 संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की घोषणा की है, जिसके तहत भारत में दुनिया का पहला टेक्सटाइल-टू-टेक्सटाइल वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य भारत में टेक्सटाइल कचरे को रीसाइकिल कर सस्टेनेबल फैशन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
भारत वैश्विक स्तर पर टेक्सटाइल कचरे के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, लेकिन दुखद बात यह है कि इस कचरे का केवल 1% से भी कम हिस्सा नए कपड़ों में रीसाइकिल हो पाता है, जैसा कि हाल के एक शोध में बताया गया है। इस संयुक्त उद्यम के तहत, लूप इंडस्ट्रीज की पेटेंटेड केमिकल रीसाइक्लिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो सभी प्रकार के पॉलिएस्टर कचरे को उच्च शुद्धता वाले, वर्जिन-क्वालिटी पीईटी रेजिन में परिवर्तित करेगी। यह रेजिन बार-बार उपयोग के लिए उपयुक्त होगी, जिससे टेक्सटाइल उद्योग में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।
लूप इंडस्ट्रीज की इस क्रांतिकारी तकनीक से पारंपरिक रूप से रीसाइकिल न हो सकने वाले पीईटी प्लास्टिक और पॉलिएस्टर फाइबर कचरे को मूल्यवान सामग्री में बदला जा सकेगा। यह तकनीक प्लास्टिक उद्योग की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम करेगी, जो वर्तमान में इसके 90% से अधिक कच्चे माल का स्रोत है। इस पहल से कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अंततः कार्बन-मुक्त अर्थव्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सकेगा।
यह परियोजना भारत सरकार के सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण के विजन के अनुरूप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया 'मन की बात' में टेक्सटाइल कचरे की बढ़ती समस्या पर चिंता जताई थी और सर्कुलर फैशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने पंजाब के पानीपत, बेंगलुरु और तमिलनाडु के तिरुपुर जैसे शहरों में टेक्सटाइल रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की थी। इस संदर्भ में, एस्टर इंडस्ट्रीज और लूप इंडस्ट्रीज की यह साझेदारी भारत को टेक्सटाइल रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एस्टर इंडस्ट्रीज ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्लांट पर्यावरण के अनुकूल होगा और इसमें जीरो डिस्चार्ज सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे आसपास की मिट्टी और जल स्रोतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगी, बल्कि भारत में टेक्सटाइल उद्योग को वैश्विक स्तर पर सर्कुलर सोर्सिंग के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी।
इस परियोजना को लेकर सोशल मीडिया पर भी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई लोगों ने इसे भारत में सस्टेनेबल फैशन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया है। यह साझेदारी न केवल भारत के टेक्सटाइल कचरे की समस्या को हल करने में मदद करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में भी एक मिसाल कायम करेगी।