नई दिल्ली : इतिहास के पन्नों में 15 सितंबरः जब हुई दूरदर्शन की शुरुआत
रामायण, महाभारत, बुनियाद, हमलोग जैसे धारावाहिक कार्यक्रमों ने तो इतिहास ही रच दिया
नई दिल्ली : संचार व डिजिटल क्रांति के मौजूदा दौर में दूरदर्शन को याद करना पिछली पीढ़ी के लोगों को आज भी रोमांचित कर देता है, जिसने दर्शकों का नजरिया बदल कर रख दिया। इसने पूरे समाज, कला-संस्कृति और पीढ़ी को प्रभावित किया। कृषि दर्शन, रंगोली, चित्रहार जैसे शुरुआती कार्यक्रम आज भी उस पीढ़ी के जेहन में जिंदा है। आगे चलकर रामायण, महाभारत, बुनियाद, हमलोग जैसे धारावाहिक कार्यक्रमों ने तो इतिहास ही रच दिया।
15 सितंबर 1959 को सरकारी प्रसारक के तौर पर दूरदर्शन की स्थापना हुई। छोटे पर्दे पर चलती-बोलती तस्वीरें दिखाने वाला यह डिब्बा लोगों के लिए कौतूहल का विषय था। शुरुआत में दूरदर्शन पर हफ्ते में केवल तीन दिन ही कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे, वो भी केवल आधा घंटे के लिए। जिसमें स्कूली बच्चों और किसानों के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे। इसका संचालन ऑल इंडिया रेडियो करता था। 1965 से रोजाना कार्यक्रम प्रसारित किए जाने लगे। 1975 में देश के 6 राज्यों में सैटेलाइट इन्स्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (एसआईटीई) शुरू किया गया। इन राज्यों में सामुदायिक टेलीविजन सेट लगाए गए। 1976 में दूरदर्शन ऑल इंडिया रेडियो से अलग हो गया। 1982 में दूरदर्शन ने इनसैट-1 के जरिए पहली बार राष्ट्रीय प्रसारण किया। इसी साल दूरदर्शन का स्वरूप रंगीन हो गया। एशियाई खेलों के प्रसारण ने तो दूरदर्शन की लोकप्रियता को कई गुना बढ़ा दिया। यहीं से टीवी का कायापलट हुआ।