यह महिला सालों से कर रही है लोगों की नि:शुल्क सेवा, अब तक 2800 से भी अधिक शवों का कर चुकी है अंतिम संस्कार

यह महिला सालों से कर रही है लोगों की नि:शुल्क सेवा, अब तक 2800 से भी अधिक शवों का कर चुकी है अंतिम संस्कार

मुस्लिम परिवार की होने के बावजूद धार्मिक विधियों के अनुसार करती है शवों का अंतिम संस्कार

कोरोना महामारी के बीच कई लोगों ने परिजनों को खोया है। महामारी के इस समय में जहां कई लोगों ने महामारी से जूझ रहे लोगों को लूटने में कोई कसर नहीं रखी, तो कई लोगों ने गरीब और परेशान लोगों की सेवा कर रहे है। आज हम एक ऐसी ही महिला की बात करने जा रहे है, जो की पिछले काफी समय से लोगों की नि:शुल्क सेवा कर रही है। महामारी के बीच भी इस महिला ने लोगों की सेवा करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, मोरबी सिविल अस्पताल में हसीनाबेन लाड़का नाम की यह मुस्लिम महिला सालों से लोगों की नि:शुल्क सेवा कर रही है। महामारी के बीच भी महिला ने दिन रात लोगों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खुद मुस्लिम परिवार की होने के बावजूद लोगों की धार्मिक विधियों के अनुसार अंतिम विधि कर उन्हें अंतिम मंजिल तक पहुंचाती है। 
हसीनाबेन के परिवार में तीन बेटियाँ है और वह उनका पति भाड़े की रिक्शा चला कर अपना गुजारा चलाता है। सुबह 5 बजे हसीना के पति नमाज पढ़ कर काम पर चले जाते है। इसके बाद हसीनाबेन भी मरीजों का इस्तेमाल करने के लिए अस्पताल चले जाते है। कोरोना के इलाज के दौरान जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो कई परिवार अपने परिजनों को छोड़कर चले गए होने की घटनाएँ भी सामने आई है। ऐसे में किसी भी प्रकार का डर रखे बिना सभी मरीजों का धार्मिक विधि के अनुसार हसीनाबेन द्वारा अंतिम संस्कार करवाया गया है।  
आज के इस कठिन समय में जहां लोग अपने परिजनों को ही छोड़ दे रहे है। वहीं हसीना बेन जैसी कुछ हस्तियों ने ही लोगों के मन में मानवता के प्रति विश्वास जगाए रखा है।