सूरत : टेक्सटाइल मार्केट में क्रिकेट खेलकर टाइम पास कर रहे कपड़ा व्यापारी

सूरत : टेक्सटाइल मार्केट में क्रिकेट खेलकर टाइम पास कर रहे कपड़ा व्यापारी

कपड़ा बाजार की स्थिति बहुत ही दयनीय, ऐसे में व्यापारी खेलकर बिता रहे हैं अपना समय

कोरोना के कहर ने सभी व्यवसायों की कमर तोड़ दी है। सूरत और देश का सबसे महत्वपूर्ण कपड़ा उद्योग आज संकट में है। सूरत में लाखों लोग कपड़ा उद्योग से जुड़े हैं। उनके आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत कपड़ा बाजार है। ऐसे में कोरोना के कारण बंद सूरत टेक्सटाइल मार्केट के व्यापारी अपना टाइम पास करने के लिए बैडमिंटन और क्रिकेट खेल रहे हैं। ऐसे में रघुवीर बिज़नेस एम्पायर का एक वीडियो वायरल हो रहा हैं। इससे कपड़ा बाजार की वर्तमान स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
कपड़ा व्यापारियों के संगठन फेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल मार्केट्स के डायरेक्टर देव संचेती ने बताया कि फिलहाल बाजार में कपड़ों की कोई मांग नहीं है। आमतौर पर इन दिनों दक्षिण भारत, महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों से भी वस्त्रों की भारी मांग देखी जाती है। कोरोना ने महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य राज्यों में व्यापार को बाधित कर दिया है। वहां बाजार शुरू नहीं हुए हैं। जिससे सूरत से दूसरे राज्यों का जो कपड़ा परिवहन बंद हो गया है। ऐसे में व्यापारी इस तरह खेलकर अपना समय बिता रहे हैं।
जाने-माने कपड़ा व्यापारी धनपत जैन ने कहा, 'मौजूदा समय में कपड़ा बाजार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। कोई काम नहीं होने के कारण व्यापारी टाइम पास करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर है। जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। 
आपको बता दें कि शहर में छह और व्यापार संघों द्वारा सात दिनों में सात बार मुख्यमंत्री के सामने व्यापारिक समय बढ़ाने की प्रस्तुति करने के बावजूद अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं आया है। सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक शायद ही कोई कारोबार होता है। एक हफ्ते पहले राज्य सरकार ने कपड़ा बाजार, ज्वैलर्स, हार्डवेयर, किराना और मिठाई समेत दुकानें खोलने की अनुमति दी थी। व्यापारियों का कहना है कि आधे दिन की छुट्टी के साथ इन सभी ट्रेडों में से 90 प्रतिशत बर्बाद हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान कपड़ा बाजार को हुआ है। सामान्य दिनों में रोजाना 100 करोड़ का कारोबार होता था जो आधा दिन कारोबार होने से जो 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसी तरह ज्वैलर्स का दैनिक कारोबार 12 करोड़ रुपये से घटकर 1 करोड़ रुपये रह गया है। 
सरकार छोटे व्यापारियों के लिए आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा करे। सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले व्यापारी वही हैं जो अपनी आय पर कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, ऐसे में छोटे व्यापारियों की क्या हालत होगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है।