सूरत : कोरोना और मंदी की दोहरी मार से एंब्रोईडरी उद्योग की हालत खराब

सूरत : कोरोना और मंदी की दोहरी मार से एंब्रोईडरी उद्योग की हालत खराब

आज भी 70 से 90 प्रतिशत मशीन बंद, कारीगरों के साथ-साथ व्यापारियों की हालत भी खराब

पिछले काफी समय से कोरोना के कारण सूरत का टेक्सटाइल उद्योग और एंब्रोईडरी उद्योग काफी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लंबे समय से मंदी का प्रकोप सह रहे एंब्रोईडरी उद्योग को कोरोना की दोहरी मार लगी है। हालात तो ऐसे है की अभी भी 90 प्रतिशत मशीने बंद है, जिसके चलते एंब्रोईडरी उद्योग से जुड़े हुये करीब 10 लाख परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी बुरी हो चुकी है। टेक्सटाइल क्षेत्र से ऑर्डर नहीं आने के कारण और दूसरी तरफ से पेमेंट भी नहीं आने के कारण व्यापारियों की हालत भी काफी बुरी हुई है। 
बता दे की सूरत में डायमंड उद्योग के बाद टेक्सटाइल उद्योग काफी महत्वपूर्ण है। जिसमें एंब्रोईडरी का भी काफी योगदान है। एक बार कपड़ा तैयार हो जाने के बाद उसपर एंब्रोईडरी वर्क होता है और माल देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंचता है। हालांकि पिछले लगभग डेढ़ साल से व्यापार नहीं चल रहा, जिसके चलते कपड़ा व्यापारियों द्वारा ऑर्डर नहीं मिलता और एंब्रोईडरी के व्यापारी अपने मजदूरों को काम नहीं दे पा रहे। 
सूरत के वराछा इलाके में काफी बड़े पैमाने पर एंब्रोईडरी उद्योग फैला हुआ है। पर पिछले काफी समय से यहाँ की सभी मशीनें बंद है। व्यापारियों के अनुसार, एक समय था जब एंब्रोईडरी मशीन 24 घंटों तक लगातार चलती थी। हालांकि अब तो मात्र 200 साड़ियों का ऑर्डर ही मिलता है। 
एंब्रोईडरी असोशिएशन के प्रमुख हितेशभाई के अनुसार, लोकडाउन के बाद से लगभग 90 प्रतिशत मशीन बंद है। इस कठिन समय में भी मशीनों की कीमत में काफी इजाफा आया है। 7 लाख में मिलने वाली मशीन की कीमत 18 लाख तक पहुँच गई है। श्रमिक गाँव जाने के बाद वापिस नहीं आ रहे है। अन्य एक एंब्रोईडरी अग्रणी  पूर्णेश राणपरिया ने कहा कि अधिकतर कारीगर उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से है। एक समय पर 25 हजार कमाने वाले कारीगर आज मात्र चार या पाँच हजार कि कमाई कर रहे है। ऐसे में उनकी हालत काफी खराब है। 
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