सक्सेस स्टोरी : कोरोना काल में आई समस्या को बनाया अवसर, अस्थमा से पीड़ित नितीश ने एल्कोहल फ्री सैनिटाइजर से कमाए एक साल में लाखों

सक्सेस स्टोरी : कोरोना काल में आई समस्या को बनाया अवसर, अस्थमा से पीड़ित नितीश ने एल्कोहल फ्री सैनिटाइजर से कमाए एक साल में लाखों

अस्थमा से पीड़ित नितीश जैन को हो रही थी सैनिटाइजर से दिक्कत, शुरूकर दिया स्टार्ट-अप

कोरोना काल के समय की वैश्विक समस्या में बहुत से लोगों ने कुछ अलग करते हुए नए मौको को जन्म दिया। ऐसे ही इस समस्या ने वडोदरा में रहने वाले बीबीए के एक छात्र को व्यापारी बना दिया है। वडोदरा में वासना-भयाली रोड पर रहने वाले नीतीश जैन अस्थमा से पीड़ित थे और सैनिटाइजर के इस्तेमाल से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में उन्होंने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ नया करने का फैसला किया और सिर्फ एक साल में उन्होंने नॉन एल्कोहलिक सैनिटाइजर विकसित किया और इस स्टार्टअप के जरिए उन्होंने महज एक साल में 5 लाख रुपये कमाए और यह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है।
इस बारे में 21 वर्षीय नीतीश जैन ने बताया कि "कोरोना के कार्यकाल के दौरान, मैं पुणे में सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय में बीबीए के दूसरे वर्ष में पढ़ रहा था। मुझे अस्थमा था और अगर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय मेरे मुंह पर हाथ लग जाते, तो मुझे सांस लेने में तकलीफ होती। साथ ही एल्कोहल बेस सैनिटाइजर हाथ में ज्यादा देर तक नहीं टिकता। ऐसे में हाथों को बार-बार सेनेटाइज करना पड़ता है। इसलिए मैंने इस समस्या को हल करने का प्रयास किया। जिसमें मेरे नाना ने मेरी मदद की। इसके अलावा, मेरे माता-पिता ने मुझे मार्गदर्शन दिया। शराब से बने सैनिटाइजर भी लंबे समय में आग और कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसमें भी अल्कोहल जैसी गंध आती है, इसलिए मैंने लोगों के लिए अल्कोहल-फ्री सैनिटाइजर बनाने का फैसला किया। शुरुआत में काफी दिक्कतें आईं। कई सवाल मुझे परेशान कर रहे थे, जिसमें सैनिटाइजर कैसे बनाया जाए, किस सामग्री का इस्तेमाल किया जाए। इसलिए मैंने वैज्ञानिकों से भी मुलाकात की, उनसे तकनीक सीखी और नैनो टेक्नोलॉजी से 'ऑल सेफ' नाम का प्रोडक्ट बनाया और उसका पेटेंट भी करवाया।
नितीश जैन ने आगे बताया “मैंने 'ऑल सेफ' स्टार्टअप में तीन अलग-अलग उत्पाद बनाए हैं। प्रथम उत्पाद का नाम है। हैंड रब, जिसे हम सैनिटाइजर भी कह सकते हैं। मैंने जो सैनिटाइजर तैयार किया उसमें शराब का इस्तेमाल नहीं किया। हैंड रब के इस्तेमाल से बच्चों, बुजुर्गों या गर्भवती महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होती है और हैंड रब सामान्य सैनिटाइज़र की तुलना में 5 से 6 गुना अधिक प्रभावी होते हैं और एक बार लगाने के बाद हाथों पर लंबे समय तक टिके रहते हैं और हाथों पर वायरस को आने नहीं देते हैं। इसके अलावा एक अन्य उत्पाद है आयोनाइजर!
(Photo Credit : divyabhaskar.co.in)
हवा में आयनाइजर का छिड़काव फ्लोटिंग वायरस को निष्क्रिय कर देता है, जिससे एक ही कमरे में बैठे दो लोग एक दूसरे में वायरस नहीं फैलाते हैं। इसके अलावा, यह कवक में उपयोगी नहीं हो सकता है, वर्तमान में अनुसंधान चल रहा है और कृषि में इसके उपयोग पर शोध किया जाएगा। तीसरा उत्पाद कीटाणुनाशक है, जो सतह पर वायरस को बेअसर करता है। आपको बता दें कि कोरोना काल में सैनिटाइजर लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है, जिसमें आम सेनिटाइजर से त्वचा में एलर्जी और पेट में संक्रमण हो रहा है। हालाँकि, मैंने जो उत्पाद तैयार किया है वह गैर-मादक है। इसलिए मेरे द्वारा तैयार किए गए हैंड रब (सैनिटाइजर) के इस्तेमाल से त्वचा की एलर्जी से छुटकारा मिल सकता है। मेरा उत्पाद वर्तमान में हमारी वेबसाइट और ऑनलाइन शॉपिंग बाजार और तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और जम्मू और कश्मीर में ऑनलाइन बाजार में बेचा जा रहा है। फिलहाल मेरे साथ 5 लोगों की टीम काम कर रही है। पारुल विश्वविद्यालय के वडोदरा स्टार्टअप स्टूडियो से मुझे काफी सहयोग मिला है। मैं उनको धन्यवाद करता हूँ।
जानकारी के लिए बता दें कि महज 21 साल की उम्र में स्टार्टअप शुरू करने से नितीश को महज एक साल में 5 लाख रुपये की आमदनी हो गई है। यह युवक आज देश के कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके है और वह आने वाले दिनों में और अधिक शोध कर अपने उत्पाद को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचायाना चाहते थे।