The life of Dr Sindhutai Sapkal was an inspiring saga of courage, dedication and service. She loved & served orphaned, tribals and marginalised people. Conferred with Padma Shri in 2021, she scripted her own story with incredible grit. Condolences to her family and followers. pic.twitter.com/vGgIHDl1Xe
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 4, 2022
1400 अनाथ बालकों की माता समान 'सिंधुताई सपकाल' का हुआ निधन, राष्ट्रपति ने शोक व्यक्त किया
By Loktej
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गर्भावस्था के दौरान गौशाला में ही अकेले दिया था पुत्री को जन्म, खुद के हाथ से ही काटी थी अपनी नाल
सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ सिंधुटाई सपकाल का 73 साल की उम्र में निधन हुआ था। अपना पूरा जीवन सिंधुताई ने इन बच्चों का जीवन सुधारने में लगा दिया था। सिंधुताई 1400 से भी अधिक बच्चों की माता थी। खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुख व्यक्त करते हुये कहा की सिंधुताई का जीवन साहस, समर्पण तथा सेवा की प्रेरकगाथा था। वह अनाथ तथा आदिवासियों को काफी प्रेम करते थे। राष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री ने भी डॉ. सिंधुताई के निधन पर अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, डॉ सिंधुताई सपकाल को समाज उनकी पवित्र सेवा के लिए हमेशा याद रखेगा।
महाराष्ट्र के वर्धा में एक गरीब परिवार में जन्मी सिंधुताई ने काफी समय तक भेदभाव का सामना किया, क्योंकि वह एक लड़की थी। सिंधुताई की माँ उनके स्कूल जाने के विरोध में थी। हालांकि उनके पिता की इच्छा थी की वह स्कूल जाएँ। 12 साल की उम्र में सिंधुताई की शादी करा दी गई। उनका पति उनसे 20 साल बड़ा था। वह उनके साथ मारपीट करता और उनको गालियां देता। जब सिंधुताई 9 महीने की गर्भवती थी, उसी दौरान उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया। उन्हें खुद ही अपनी पतिनी को गौशाला में जन्म देना पड़ा। यहाँ तक की जन्म देने के बाद अपने हाथ से ही उन्होंने अपनी पेट की नाल काटी थी।
इन सब घटना से वह काफी निराश हो गए थे और उन्हें आत्महत्या के विचार भी आने लगे थे। हालांकि उन्होंने अपनी बच्ची के लिए जीना शुरू किया और रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने लगी। इस दौरान वह कई अनाथ बच्चों के संपर्क में आई। इसके बाद उन्हें जो भी अनाथ बच्चा मिलता वह उसे अपना लेते थे। सिंधुताई ने अपने जीवन में 1400 से भी अधिक बच्चों को अपनाया था। उनका परिवार काफी बड़ा है। सिंधुताई के इस अपनाए हुये परिवार में 207 दामाद और 36 बहू है। इसके अलावा 1000 से अधिक नाती-पोते है। इस काम के लिए उन्हें पद्मश्री सहित 500 से भी अधिक सम्मान मिले है।
Dr. Sindhutai Sapkal will be remembered for her noble service to society. Due to her efforts, many children could lead a better quality of life. She also did a lot of work among marginalised communities. Pained by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/nPhMtKOeZ4
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2022