सरकार की गरीबोन्मुखी नीतियों के पीछे है नारायण गुरू की प्रेरणा : मोदी

सरकार की गरीबोन्मुखी नीतियों के पीछे है नारायण गुरू की प्रेरणा : मोदी

नई दिल्ली, 24 जून (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक के शिवगिरी मठ के संत नारायण गुरू को विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए ऊर्जा का बड़ा स्रोत बताया है और कहा है कि समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग के लिए उनकी सरकार के हर निर्णय के पीछे उनकी शिक्षाओं को याेगदान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां विज्ञान भवन में आध्यात्मिकता और नैतिकता का पालन करने वाले भारत के दो महानतम नेताओं श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक संवाद के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस मौके पर ब्रह्मर्षि स्वामी सच्चिदानंद, श्रीमठ स्वामी शुभंगा-नंदा, स्वामी शारदानंद, केन्द्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन जी, सांसद अडूर प्रकाश भी मौजूद थे।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज ये परिसर देश के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना को याद करने का साक्षी बन रहा है। एक ऐसी ऐतिहासिक घटना, जिसने न केवल हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतन्त्रता के उद्देश्य को, आज़ाद भारत के सपने को ठोस मायने दिये।

सौ साल पहले श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की वो मुलाकात, आज भी उतनी ही प्रेरक है, उतनी ही प्रासंगिक है। वो मुलाकात, सामाजिक समरसता के लिए, विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए, आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत की तरह है।

मोदी ने कहा कि श्रीनारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं, श्रीनारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग से मेरा करीबी नाता है। इसलिए आज भी वह जब समाज के शोषित, वंचित वर्ग के लिए बड़े निर्णय लेते हैं तो वह गुरुदेव को जरूर याद करते हैं।

उन्हाेंने कहा कि सौ साल पहले के वो सामाजिक हालात, सदियों की गुलामी के कारण आईं विकृतियाँ, लोग उस दौर में उन बुराइयों के खिलाफ बोलने से डरते थे। लेकिन, श्रीनारायण गुरु ने विरोध की परवाह नहीं की, वो कठिनाइयों से नहीं डरे, क्योंकि उनका विश्वास समरसता और समानता में था।

उनका विश्वास सत्य, सेवा और सौहार्द में था। यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का रास्ता दिखाती है। यही विश्वास हमें उस भारत के निर्माण के लिए ताकत देता है, जहां अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति हमारी पहली प्राथमिकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “शिवगिरी मठ से जुड़े लोग और संतजन भी जानते हैं कि श्रीनारायण गुरु में और शिवगिरी मठ में मेरी कितनी अगाध आस्था रही है। मैं भाषा तो नहीं समझ पा रहा था, लेकिन पूज्य सच्चिदानंद जी जो बातें बता रहे थे, वो पुरानी सारी बातें याद कर रहे थे। और मैं भी देख रहा था कि उन सब बातों पर आप बड़े भाव विभोर होकर के उसके साथ जुड़ जाते थे। और मेरा सौभाग्य है कि मठ के पूज्य संतों ने हमेशा मुझे अपना स्नेह दिया है।

मुझे याद है, 2013 में, तब तो मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, जब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी, तब शिवगिरी मठ के कई पूज्य संत वहाँ फंस गए थे, कुछ भक्त जन भी फंस गए थे। शिवगिरी मठ ने वहाँ फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार को संपर्क नहीं किया था, शिवगिरी मठ ने मुझे आदेश दिया और इस सेवक पर भरोसा किया, कि भई ये काम तुम करो। और ईश्वर की कृपा से सभी संत सभी भक्तजन को सुरक्षित मैं ला पाया था।”