तूफान में गिरा घर, जान बचाने के लिए 18 घंटे तक पुत्रों के साथ कोने में खड़ी रही विधवा महिला

तूफान में गिरा घर, जान बचाने के लिए 18 घंटे तक पुत्रों के साथ कोने में खड़ी रही विधवा महिला

पानीपूरी की लारी चलाकर करते थे गुजारा, तूफान में जमीनदोस्त हुआ पूरा घर

गुजरात सहित देश के कई हिस्सों में चक्रवात ताऊ'ते ने अपना कहर बरपाया है। एक और जहां लोग कोरोना की मार से सीधे नहीं हो पाये थे, वहीं चक्रवात ने भी अपना कहर दिखा दिया। गुजरात में इस चक्रवात की सबसे ज्यादा असर सौराष्ट्र में हुई थी। जहां लोगों के रहने के घर भी जमीनदोस्त हो गए थे। इसके अलावा किसानों की फसल को भी काफी नुकसान हुआ था। 
इन सभी विनाश की खबरों के बीच एक महिला की ममता और बहादुरी की कहानी भी सामने आई है। चक्रवात के बीच ऊना में रहने वाली यह विधवा महिला अपने बेटों के साथ उनकी और खुद की जान बचाने के लिए 18 घंटो तक बिना कुछ खाये-पिये घर के एक कोने में खड़ी रही थी। चक्रवात के कारण इस महिला का घर गिर गया था, पर बाहर चल रही तेज हवाओं के बीच वह आसपास के घरों में भी नहीं जा सकते थे। जिसके चलते वह अपनी और अपने दोनों बेटों के साथ घर के एक कोने में खड़ी रही थी। 
तीनों माँ-बेटे पानी-पूरी की लारी चलाकर अपना गुजारा चलाते थे। पर चक्रवात में इन तीनों का घर उजड गया है और अब वह बेघर हो चुके है। उसमें भी इन 18 घंटों के दौरान उन्होंने अन्न का एक दाना भी अपने मुंह में डाला नहीं था।