शर्मनाक: पुत्री के शव को किसी ने नहीं दिया कंधा, मजबूरन पिता ने कंधे पर रख पहुँचाया श्मशान

शर्मनाक: पुत्री के शव को किसी ने नहीं दिया कंधा, मजबूरन पिता ने कंधे पर रख पहुँचाया श्मशान

कोरोना के डर से पड़ोसियों ने कंधा देने से किया इंकार

कोरोना काल के समय ऐसे कई मौके सामने आए हैं जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। पंजाब के जालंधर में एक ऐसी ही बड़ी घटना सामने आई है जिसने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। एक गरीब मजदूर की 11 साल की बेटी की मौत हो गई। बच्ची में कोरोना जैसे लक्षण थे इसलिए इलाके के लोगों ने उसे कंधा देने से मना कर दिया। घटना 10 मई की है। सोशल मीडिया पर एक पिता का अपनी बेटी को कंधे पर उठाकर ले जाते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में जालंधर के रामनगर का रहने वाला एक पिता शव को कंधे पर उठाए नजर आ रहा है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि उसके कंधे पर एक लाश है और एक लड़का पास में चल रहा था जो लाश से गिरे कपड़ों को बार-बार उठा रहा था। 49 सेकेंड के इस दर्दनाक वीडियो ने व्यवस्था की पोल खोलकर लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए हैं। लड़की के पिता के मुताबिक, अमृतसर के गुरुनानक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कहा कि उनकी बेटी कोरोना संक्रमित है, लेकिन इसकी रिपोर्ट नहीं दी। उन्हें इस बात का दुख है कि किसी ने उनकी बेटी के शरीर को कंधा नहीं दिया, लेकिन वीडियो सभी बना रहे थे।
अपनी 11 साल की बेटी के शव को कंधे पर उठाए हुए दिखाई दे रहे इंसान का नाम दिलीप हैं जो मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं। रामनगर के रहने वाले दिलीप ने बताया कि उनके 3 बच्चे हैं। 11 साल की बेटी सोनू पिछले दो महीने से बुखार से पीड़ित थी। जालंधर के सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद डॉक्टर ने उसकी हालत गंभीर बताई और उसे अमृतसर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। 9 मई को अमृतसर पहुंचने पर उनकी मौत हो गई। बेटी का शव जालंधर लाया गया।
अंतिम संस्कार के लिए लोगों से बात की लेकिन सबने ये कहते हुए  मना कर दिया कि हो सकता है कि बेटी की मौत कोरोना से हुई हो इसलिए वे अर्थी को कंधे नहीं देंगे। इसके बाद दिलीप अपनी बेटी के शव को कंधों पर उठाकर श्मशान घाट ले गए। दिलीप बेहतर भविष्य की तलाश में 2001 में जालंधर गए थे। रामनगर इलाके में रहते हुए  शादी के बाद उसके 3 बच्चे (2 लड़कियां और एक लड़का) हुए।
रोते-रोते दिलीप ने कहा कि गुरु नानक मेडिकल कॉलेज में उनकी बेटी की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल ने शववाहिनी देने से मना कर दिया। मजबूरी में उन्हें एक निजी शववाहिनी के पास जाना पड़ा। उसने पांच हजार रुपये किराया मांगा लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे। बार-बार अनुरोध करने पर, शव 2,500 रुपये में जालंधर पहुंचाने के लिए तैयार हो गया। अगर वह किसी तरह अपनी बेटी के शव को लाने में तो कामयाब रहे, तो उनके पास शव को श्मशान ले जाने के लिए पैसे नहीं थे।
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