वीरपुर जलाराम बापा की इस अर्धपागल युवक पर हुई ऐसी कृपा के सारे संकट दूर हो गये!

वीरपुर जलाराम बापा की इस अर्धपागल युवक पर हुई ऐसी कृपा के सारे संकट दूर हो गये!

अकेले बैठकर पूरे दिन हँसता रहता था युवक, कठिन समय में मुस्लिम सेवाभावी व्यक्ति ने मदद कर के की सहायता

दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है, खास करके जब बात हो उस ऊपर वाले के कारनामों की। भगवान कब किस की तकदीर बदल डाले कोई कुछ कह नहीं सकता। कुछ ऐसा ही एक किस्सा सामने आया गुजरात के वलसाड जिले के वीरपुर गाँव से, जहां जलराम बापा की कृपा से एक युवक की तकदीर ही बदल गई। वीरपुर के जलाराम बापा की कृपा दृष्टि के कई किस्से सुनने में आए है, ऐसा ही एक और किस्सा सबके सामने आया था। एक राजस्थानी युवक जो की पागलों बेरोजगारी के कारण पागल हो गया था, उस युवक द्वारा मात्र एक बार उनके दर्शन किए और वह संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, राजस्थान के नागोर जिले के मुंडवाना कुचेरा गाँव में रहने वाला आशीष सुभाष टांके नाम के 24 वर्षीय युवक 12वीं पास करने के बाद उसने पारले की एजंसी ली थी। इसके अलावा पिता सुभाष टाँक और माता गणेशी देवी किसान थे और प्रसंगों में रसोई काम करने भी जाते थे। हालांकि कुछ समय के बाद आशीष ट्रांस्पोर्ट में जुड़ गया और ट्रक चालक और क्लीनर के तौर पर नौकरी में लग गया। लोकडाउन में उसकी नौकरी छुट जाने पर वह वलसाड आ गया और नौकरी ढूँढने लगा। पर वलसाड में भी उसे नौकरी नहीं मिली, जिसके कारण वह यहाँ-वहाँ लोगों के ओटले पर, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर सो जाता था। एक दिन खाते वक्त उसके गले में सिक्का भी फंस गया और इसी दौरान मानसिक तनाव के कारण उसका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया। इसके बाद से आशीष मात्र हँसता ही रहता था। 
इस बीच वलसाड वहीवटी तंत्र के एक उच्च अधिकारी ने इलाके के गरीब भिखारियों को वीरपुर जलाराम बापा के दर्शन करवाने की इच्छा व्यक्त की। आशीष को भी इसका लाभ मिला और वह भी बस में सभी के साथ जलाराम बापा के दर्शन करने निकल पड़ा। जहां उसने पाने ठीक होने की प्रार्थना की। वापिस आने पर मानो जलाराम बापा ने उसकी बात मान ली हो इस तरह आते ही उसे एक अंडे की लारी पर काम मिल गया। जहां नौकरी पर रखने वाले अप्पूभाई ने उसके गले में से सिक्का निकलवाया। गल्ले में से सिक्का निकलने के बाद वह पूरी तरह से बोलने लगा। इसके बाद से ही वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया और एक बल्ब बनाने वाली कंपनी में अब नौकरी भी शुरू कर चुका है। 
अपने जीवन में आए इस बदलाव के बारे में बात करते हुये आशीष कहते है की वह भी अब अपनी पगार में से कुछ पैसे बचा कर जल्द से जल्द भिखारी और निसहाय लोगों को जलारामबापा के दर्शन के लिए भेजेंगे। इस तरह से वह अपनी कृतज्ञता व्यक्त करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम में ताड़ी किसी ने आशीष की सहायता की हो तो वह है अप्पूभाई, जिन्हों ने उसे उसके कठिन समय में अपने यहाँ काम पर रख कर उसको रहने के लिए एक घर भी दिया। इसके अलावा उसे बल्ब की कंपनी में नौकरी प्राप्त करने में सहायता भी की।