वडोदरा :  ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने में ईएसजी प्रेक्टिस महत्वपूर्ण : अनंत नागेश्वर  

उद्योगों को वायु और जल को प्रदूषित करने से रोकने के लिए ईएसजी पर सम्मेलन में मुख्य आर्थिक सलाहकार का संबोधन

वडोदरा :  ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने में ईएसजी प्रेक्टिस महत्वपूर्ण : अनंत नागेश्वर  

भारत में भी उद्योगों को आने वाले वर्षों में ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) मानदंडों का पालन करना होगा। इसके लिए फेडरेशन ऑफ गुजरात इंडस्ट्रीज की ओर से उद्योगों को जानकारी देने के लिए सस्टेनेबल फ्यूचर्स... शीर्षक से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण दिया।

उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने में ईएसजी प्रथाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उद्योग जगत के लिए मानदंडों और विनियमों के संदर्भ में देखना और उनका पालन करना उनके अपने हित में है।ऐसा विचार कर ईएसजी को लागू करना। उद्योगों को धैर्य खोए बिना अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक लाभ के बारे में सोचने के लिए दीर्घकालिक दृष्टि विकसित करनी होगी।

उन्होंने बताया कि, आर्थिक विकास के साथ-साथ बदलाव भी आता है। चूँकि शुरुआत में कंप्यूटर का विरोध किया गया था लेकिन अब यह जीवन का हिस्सा बन गया है। उद्योगों को भी इस पर ध्यान देने और बदलाव के लिए आंतरिक माहौल बनाने की जरूरत है। अनंत नागेश्वरन ने कहा कि हवा और पानी को प्रदूषित न करना भी ईएसजी अभ्यास का एक हिस्सा है। वहीं, यह कहा जा सकता है कि छोटे उद्योगों को समय पर भुगतान करने वाले और ग्राहकों के हितों का ख्याल रखने वाले उद्योग भी ईएसजी में शामिल हैं।
  
अत्यधिक उपभोक्तावाद भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है

ईसीजी पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संस्थान पेट्रोलियम के पूर्व निदेशक अंजन रे ने कहा कि अत्यधिक उपभोक्तावाद और गैर-जिम्मेदाराना उत्पादन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। जो पश्चिमी देशों की देन है। यूज एंड थ्रो की बढ़ती संस्कृति भी दीर्घकालिक विकास के हित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि दुनिया में औद्योगिक क्रांति शुरू होने के 200 साल तक पर्यावरण पर इसके असर को लेकर दुनिया में कोई चर्चा नहीं हुई। पिछले 50 वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर बहस होती रही है। ऐसी कई छोटी-छोटी बातें हैं जिन पर न सिर्फ कारोबारी बल्कि आम लोग भी अमल करके पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक लीटर पेट्रोल का उपयोग करने से वातावरण में 3 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड जुड़ जाता है, जबकि एक यूनिट बिजली का उपयोग करने से वातावरण में एक किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड बचा लेता है। लोगों को ऊर्जा के अनावश्यक प्रयोग से बचना चाहिए।

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