सूरत : नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की बैठक में अनुदान का हिसाब और सभा में बैठने को लेकर हंगामा
आप पार्षदों ने भाजपा शासकों को दिया अनुदान का आरटीआई के बावजूद हिसाब नहीं मिला
सूरत निगम की नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की साधारण सभा में आज जबरदस्त हंगामा हुआ। आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने स्कूलों के विकास के लिए भाजपा पार्षदों को अनुदान देकर एक अनोखा प्रयोग शुरू किया। लेकिन आम आदमी पार्टी ने अनुदान का हिसाब मांगना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हे अनुदान में भ्रष्टाचार का संदेह था। जबकि आम आदमी पार्टी के 14 नगरसेवकों ने स्कूल के विकास के लिए अब तक लगभग 3 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया है, लेकिन भाजपा शासकों ने तीन महीने की मौखिक-लिखित दलीलों के बावजूद इसका हिसाब नहीं दिया है। इस पूरे मामले में राकेश हिरपरा को आरटीआई का सहारा लेना पड़ा, बावजूद इसके कि वे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और अभी तक अनुदान का हिसाब भाजपा के शासकों ने नहीं दिया है, ऐसा आरोप विपक्ष ने लगाया है।
नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के अध्यक्ष धनेश शाह ने बताया कि नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की बैठक चल रही थी। इस बीच आज आप के पार्षद मौजूद थे, लेकिन चल रही सामान्य बैठक में उन्होंने अवैध तरीके से कुछ लोगों के साथ मारपीट कर माहौल खराब कर दिया, जो ठीक बात नहीं है। सामान्य बैठक में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा व्यवधान उत्पन्न नहीं किया जायेगा।
नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के विपक्षी सदस्य राकेश हिरपरा ने कहा कि नगरसेवकों ने अपने अनुदान से शिक्षा समिति को 3 करोड़ रुपये की राशि दी है। जाहिर सी बात है कि जब पार्षद ने अपनी अनुदान राशि शिक्षा के विकास और बच्चों की पढ़ाई को सुगम बनाने के लिए दी है तो उसे इसका हिसाब भी देना चाहिए कि इसे कहां और कैसे खर्च किया गया। मौखिक हिसाब मांगने पर भी नहीं दिया जाता, फिर लिखित हिसाब भी मांगा जाता है, लेकिन नहीं दिया जाता। पिछली आरटीआई में भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है। समझ में नहीं आता कि शासक एक-एक रुपये का हिसाब देने से क्यों डरते हैं? जिन्होंने भ्रष्टाचार नहीं किया और बच्चों की शिक्षा पर पैसे का सही इस्तेमाल किया तो उन्हें हिसाब देना चाहिए।
सूरत नगर निगम में विपक्ष के उपनेता बनने के बाद महेश अनधड अति उत्साही हो गए हैं। वे अन्य पार्षदों व कार्यकर्ताओं को शिक्षा समिति की बैठक में ले गये। जब अध्यक्ष ने उन्हे बैठक से बाहर जाने को कहा तो उन्होने कहा कि मैं पत्रकार हूं और मेरे पास आई कार्ड भी है। स्थायी समिति अध्यक्ष तब और आक्रामक हो गये उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक वह बैठक में नहीं बैठ सकते। पहले उन्होंने कहा कि मै पार्षद हु और अनुदान देंता हु तो सभी में बैठ सकते हैं। उसके बाद आम नागरिक की तरह बैठने की मांग करते हैं। लेकिन अध्यक्ष ने कहा कि वह नियमों के मुताबिक नहीं बैठ सकते। अंत में कहते कि मैं पत्रकार हूं, मेरे पास आई कार्ड भी है, इसलिए बैठ सकूंगा। लेकिन मीटिंग में इतना हंगामा करने पर उन्हें बाहर निकाल दिया गया। ऐसे में अति-उत्साही विपक्ष के उपनेता एक आम नागरिक, पार्षद और पत्रकार बनकर बैठक में बैठना चाहते थे, इससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।