मानवाधिकार सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय का नैतिक दायित्व : राष्ट्रपति
मनुष्य जितना अच्छा निर्माता है उतना ही अच्छा विध्वंसक भी है
नई दिल्ली, 20 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संहिताबद्ध कानून से भी अधिक, हर मायने में मानवाधिकार सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय का नैतिक दायित्व है। राष्ट्रपति बुधवार को यहां मानवाधिकार पर एशिया प्रशांत फोरम की वार्षिक आम बैठक और द्विवार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी से आग्रह किया कि वे मानवाधिकारों के मुद्दे को अलग-थलग न करें और प्रकृति की देखभाल पर भी उतना ही ध्यान दें, जो मानव के अविवेक से बुरी तरह आहत है। उन्होंने कहा कि भारत में हम मानते हैं कि ब्रह्मांड का प्रत्येक कण दिव्यता की अभिव्यक्ति है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हमें प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने प्रेम को फिर से जगाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि मनुष्य जितना अच्छा निर्माता है उतना ही अच्छा विध्वंसक भी है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार यह ग्रह छठे विलुप्त होने के चरण में प्रवेश कर चुका है, जहां मानव निर्मित विनाश, अगर नहीं रोका गया, तो न केवल मानव जाति बल्कि पृथ्वी पर अन्य जीवन भी नष्ट हो जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सम्मेलन में एक सत्र विशेष रूप से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के विषय पर समर्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन एक व्यापक घोषणापत्र लेकर आएगा जो मानवता और ग्रह की बेहतरी का मार्ग प्रशस्त करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान ने गणतंत्र की स्थापना के बाद से सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया और हमें लैंगिक न्याय और जीवन एवं सम्मान की सुरक्षा के क्षेत्र में कई मूक क्रांतियों को शुरू करने में सक्षम बनाया। हमने स्थानीय निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है और एक सुखद संयोग में राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए समान आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव अब आकार ले रहा है। उन्होंने साझा किया कि यह हमारे समय में लैंगिक न्याय के लिए सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मानवाधिकारों में सुधार के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों में सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के लिए तैयार है जो एक चालू परियोजना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनियाभर के मानवाधिकार संस्थानों और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श और परामर्श के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहमति विकसित करने में एशिया प्रशांत क्षेत्र फोरम की बड़ी भूमिका है।