कपड़ा बाजार में 42 सालों के इतिहास में पहली बार देखी है इतनी मंदी - फोस्टा डायरेक्टर सुरेश मोदी 

कपड़ा बाजार में 42 सालों के इतिहास में पहली बार देखी है इतनी मंदी - फोस्टा डायरेक्टर सुरेश मोदी 

सूरत। फोस्टा चुनाव में इस बार कुछ ऐसे नये चेहरों ने भी चुनाव लड़ा जिनका व्यापारिक राजनीती से कोई लेना-देना नहीं था। वे अपने कपड़ा कारोबार में तल्लीन थे लेकिन उन्होंने अपने कपड़ा बाजार की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया, अपने बाजार के प्रति पूरी तरह से वफादार रहे जिसका परिणाम यह रहा कि उनके कपड़ा बाजार प्रबंधन ने फोस्टा चुनाव लड़ने के लिये प्रेरित किया और वे चुनाव जीत कर फोस्टा डायरेक्टर बने। मिलेनियम मार्केट में व्यापारी से फोस्टा डायरेक्टर बने सुरेश कुमार मोदी की कहानी कुछ यूं है।

सुरेश कुमार मोदी रिंग रोड स्थित मिलेनियम-1 कपड़ा मार्केट से फोस्टा के डायरेक्टर चुने गये हैं। हालांकि इस मार्केट का प्रबंधन अभी भी बिल्डर के पास है, तथा‌पि मार्केट में इनकी सक्रियता को देखते हुये बिल्डर ने इनको फोस्टा में भेजने का निर्णय लिया। सुरेश कुमार मोदी की मिलेनियम-1 टेक्सटाईल मार्केट में जीवा क्रियेशन के नाम से ट्रेडिंग फर्म है।

लोकतेज संवाददाता के साथ बातचीत में फोस्टा डायरेक्टर सुरेश कुमार मोदी ने कहा कि पिछले 42 सालों के इतिहास में उन्होंने बाजार में पहली बार इतनी मंदी देखी है। उन्होंने कहा कि फोस्टा में आने के पीछे दो कारण रहे हैं। एक फोस्टा अध्यक्ष कैलाश हाकिम का सुंदर नेतृत्व तथा दूसरा कपड़ा बाजार की समस्याओं से बाजार को निजात दिलाना। कपड़ा बाजार में गुड्स रिटर्न तथा यहां पर बैठे कुछ चीटर व्यापारी कपड़ा बाजार के लिये नासूर हैं। उन्होंने सोचा‌ कि फोस्टा‌ में अगर अच्छे लोग आते हैं तो इससे बाजार का भला होगा। 

सुरेश कुमार मोदी मूलत: इंदौर से हैं और वे सन् 1981 में पहली बार सूरत आये। 42 साल पहले सूरत में आने के‌ साथ ही उन्होंने 250 रूपये प्रतिमाह पर एसटीएम स्थित‌ एक यार्न फर्म में नौकरी की। मोदी बताते हैं कि उस समय चार रूपये प्रतिदिन तो भोजन में ही चले जाते थे। उस‌ समय बहुत ही कठिन संघर्ष का दौर था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 1986 में ग्रे ब्रोकरेज का काम शुरू किया और अब खुद की ट्रेडिंग करते हैं।

मोदी ने बताया कि मिलेनियम मार्केट का प्रबंधन अभी बिल्डर के पास ही है। बिल्डर ने यहां का मेेंटेनेंस संभालने के लिये कई बार यहां के व्यापारियों से आग्रह किया। एक बार उन्होंने मेेंटेनेंस हैण्डओवर भी किया था। लेकिन यहां पर व्यवस्था को कन्ट्रोल नहीं किया जा सका। अंतत: व्यापारियों को मानना ही पड़ा कि इतने बड़े मार्केट का मेंटेनेंस बिल्डर से बेहतर कोई नही संभाल सकता।