सूरत में है निर्यात की अपार संभावनाएं : नवलेश गोयल
सूरत। फोस्टा में उमरवाड़ा स्थित न्यू बाम्बें मार्केट का प्रतिनिधित्व कर रहे डायरेक्टर नवलेश गोयल का कहना है कि सूरत में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन सरकार की ओर से कोई दिलचस्पी नहीं लिये जाने से यहां से निर्यात उतना नही है, जिस अनुपात में होना चाहिये। बाहरी देशों में पेमेंट फंसने की वजह से निर्यातक अपना निर्यात छोड़ कर अन्य धंधों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। चीनी सरकार की नीतियां कुछ ऐसी हैं कि चाईना के निर्यातकों का पेमेंट बिल्कुल भी नहीं डूबता। गोयल ने बताया कि निर्यात में एक दिक्कत यह भी है कि व्यापारी बैंक गारंटी के तहत माल लेने में कम रूचि रखते हैं जिसकी वजह से पेमेंट डूबने की आशंका ज्यादा रहती है। कम निर्यात होने की एक अन्य वजह सरकार की ओर से ड्यूटी ड्रा बैक तथा रिफंड जैसे इन्सेंटिव का बंद कर देना है।
न्यू बाम्बे मार्केट के प्रेसीडेंट नवलेश गोयल सदर्न गुजरात चैम्बर आप कामर्स के सदस्य होने के साथ ही श्री श्याम गुणगान समिति के पूर्व अध्यक्ष, अग्रवाल प्रगति ट्रस्ट के ट्रस्टी, मेंहदीपुर बालाजी के ट्रस्टी तथा अग्रवाल विकास ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। वर्ष 2014 से वे न्यू बाम्बे मार्केट के अध्यक्ष हैं। जब से उन्होंने न्यू बाम्बे मार्केट का चार्ज संभाला है तब से आज तक मार्केट का काफी विकास हुआ है। चार्ज संभालने के बाद उन्होंने मार्केट में फायर सेफ्टी सिस्टम डेवलप किया। बेसमेंट एरिया में 150 गाडियों के लिये पार्किग बना। बाजार में पहले सिंगल फेस लाईन थी उसकी जगह पूरे मार्केट में डबल फेस इलेक्ट्रिकल वायरिंग कराया तथा पूरे पार्किगं एरिया की फ्लोरिंग कराई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने न्यू बाम्बे मार्केट में व्यापार शुरू किया।
मूलत: राजस्थान के झूंझूनू जिला अन्तर्गत पिलानी के रहने वाले गोयल ने जयपुर से अपनी शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने वाणिज्य से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की। छात्र जीवन से उनकी रूचि सक्रिय राजनीति में थी एवं यही रूझान उनको फोस्टा चुनाव तक ले आया। साथ ही फोस्टा अध्यक्ष कैलाश हाकिम का नेतृत्व उन्हें काफी रास आया जिसकी वजह से उन्होंने फोस्टा चुनाव लड़ा। फोस्टा चुनाव लड़ने की एक खास वजह यह भी थी कि व्यापार में गुड्स रिटर्न एवं पेमेंट की समस्या को वे सुधारना चाहते थे। उन्होंने कहा कि सूरत के कपड़ा बाजार में मुख्य कारोबारी समस्या पेमेंट एवं गुड्स रिटर्न को लेकर है। वर्ष 2020 में काम कन्वर्ट करने की मुख्य वजह भी इसी समस्या का होना था। कपड़ा कारोबार मे पेमेंट मांगना मतलब भीख मांगने जैसा हो गया है!
निर्यात, केटलाग कारोबार और अब लबीना क्रियेशन
सूरत में अपनी विकास यात्रा के बारे में उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में सूरत आये तथा न्यू टेक्सटाईल मार्केट में ड्रेस का काम शुरू किया। यहां पर उनके दो छोटे भाई पहले से व्यापार में थे और उन्होंने उनके साथ ही व्यापार ज्वाईन किया। वर्ष 2005 में काम को बढाते हुए आरकेटी से उन्होंने निर्यात शुरू किया। वर्ष 2014 तक निर्यात में सब कुछ ठीक-ठाक चला और 2015 में निर्यात मे पेमेंट डूबने की वजह से काफी समस्या आई। ऐसे में उन्होंने लोगो का पूरा पैसा चुकता तो किया, लेकिन उसके बाद वर्ष 2016 में धंधा बदलते हुये उन्होंने कैटलाग का काम शुरू किया। 2020 तक उन्होंने केटलाग का काम किया लेकिन कोरोना के बाद व्यापार चेंज करते हुये अब न्यू बाम्बे मार्केट में ही लबीना क्रियेशन प्राईवेट लिमिटेड के नाम से गारमेंट फैब्रिक का काम चालू है।
न्यू बाम्बे मार्केट की सबसे बड़ी समस्या कब्जा रसीद का होना
नवलेश गोयल ने बताया कि न्यू बाम्बे मार्केट में सबसे बडी एवं जटिल समस्या यहां पर कब्जा रसीद का होना है। यहां की जमीन पारसी पंचायत की है। शुरूआती दिनों में बकाया पेमेंट को लेकर शुरू हुआ विवाद आज भी बना रहा एवं बिल्डरों की आपसी खींचतान की वजह से कोई परिणाम नहीं निकला। जिसका खामियाजा यहां के व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है। उनकी सबसे पहली प्राथमिकता कब्जा रसीद को दस्तावेज में कन्वर्ट कराना है। वर्ष 2020 के राज्य सरकार के परिपत्र का अध्ययन कर रहे हैं एवं इसके लिये वकील से सलाह ली जा रही है। मार्केट मे कलर काम्बीनेशन का कार्य कराने की योजना है। मार्केट में पहले से ही 23 बाथरूम हैं और अब 8 नये बाथरूम का निर्माण कराया जा रहा है।