विशेष : गुजरात में ऊर्जा उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन में आई 55 फीसदी की कमी

नई सौर नीति के लागू होने के बाद का असर, दिसम्बर 2020 में लागू की थी नई सौर नीति 2021

दिसम्बर 2020 में 17.42 मिलियन टन कम सीओ2 उत्सर्जन के सापेक्ष अप्रैल 2023 में 26.74 मिलियन टन कम सीओ2 उत्सर्जन हुआ

गांधीनगर, 5 जून (हि.स.)। वर्ष 2070 तक भारत को नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य के साथ गुजरात तेजी से काम कर रहा है। गुजरात में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया में होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 55 फीसदी की कमी आयी है।

विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर गुजरात के ऊर्जा विभाग ने एक बयान में बताया कि राज्य की नई सौर नीति 2021 के कारण ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान होने वाले कार्बन उत्सर्जन को 55 फीसदी तक कम करने में राज्य ने सफलता हासिल की है। राज्य सरकार ने 29 दिसम्बर 2020 को गुजरात सौर नीति 2021 जारी की थी और पिछले 2.5 वर्षों में राज्य में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 9.32 मिलियन टन कम कार्बन उत्सर्जन हुआ है।

गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के अनुसार, “गुजरात में अक्षय ऊर्जा की इन्स्टॉल्ड कैपसिटी में अधिक वृद्धि के कारण बिजली उत्पादन के पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता कम हो गई है, जिस वजह से गुजरात में ऊर्जा उत्पादन के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आई है। कार्बन उत्सर्जन के आंकड़ों को देखें तो दिसम्बर 2020 में 17.42 मिलियन टन कम सीओ2 एमिशन की तुलना में अप्रैल 2023 में 26.74 मिलियन टन कम सीओ2 एमिशन हुआ है। इसके अलावा, सौर नीति-2021 की घोषणा के बाद, जीयूवीएनएल ने 6180 मेगावाट सौर और 1100 मेगावाट पवन ऊर्जा के लिए समझौता किया है, जिसके परिणामस्वरूप अगले तीन वर्षों में 11.06 मिलियन टन सीओ2 एमिशन में कमी आएगी।”

राज्य सरकार ने 2022 में एक समर्पित डीकार्बनाइजेशन सेल की स्थापना भी की है। यह सेल गुजरात ऊर्जा प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (जीईटीआरआई) के तहत काम कर रहा है। इस सेल में एनर्जी ट्रांसमिशन, एनर्जी प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन, फाइनेंस और कॉमर्स डोमेन के विशेषज्ञ अधिकारी शामिल हैं, जो गुजरात में डीकार्बोनाइजेशन और नेट जीरो जैसे पहलुओं पर दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।

गुजरात सरकार अपनी मौजूदा ऊर्जा आवश्यकता और भविष्य में होने वाली ऊर्जा ज़रूरतों की पूर्ति के लिए रिन्यूएबल एनर्जी को अधिक प्राथमिकता दे रही है। इसका परिणाम यह हुआ है कि दिसंबर 2020 तक गुजरात में 13,039 मेगावाट की इन्स्टॉल्ड कैपसिटी के साथ रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर विंड हाइड्रो इनर्जी) का हिस्सा 35फीसदी था, जो अप्रैल 2023 तक, इन्स्टॉल्ड कैपसिटी में 20,432 मेगावाट के योगदान के साथ रिन्यूएबल एनर्जी का हिस्सा बढ़कर 44 फीसदी हो गया है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि रिन्यूएबल एनर्जी की इस इन्स्टॉल्ड कैपिसिटी को वर्ष 2030 तक 80फीसदी तक ले जाया जाए और राज्य की 50 फीसदी की ऊर्जा ज़रूरत को रिन्यूएबल एनर्जी के माध्यम से पूरा किया जाए।

इसके अलावा, जीयूवीएनएल ने एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (ईएसएस) के लगभग 2379 मेगावाट के टाई-अप के लिए कोशिश शुरू कर दी हैं। साथ ही, जीएसईसीएल ने गुजरात में पंप स्टोरेज प्लांट्स (पीएसपी) के लिए 33 संभावित स्थानों और आठ जलाशयों की पहचान की है और नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कॉपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड ने भी 1.5 महीने के भीतर सभी 41 स्थानों के लिए व्यवहार्यता अध्ययन पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्ध जताई है।

उल्लेखनीय है कि 2 जून 2023 को मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की उपस्थिति में गुजरात सरकार ने टाटा समूह के साथ लीथियम आयन सेल की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर एमओयू भी साइन किया है। इसके बाद गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां लिथियम आयन सेल की मैन्युफैक्चरिंग होगी। राज्य सरकार के ये सभी प्रयास गुजरात में न केवल एक सस्टेनेबल एनर्जी के इकोसिस्टम का निर्माण करेंगे बल्कि इसके बाई-प्रोडक्ट के रूप में राज्य सरकार के द्वारा तय कम कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद करेंगे।