वडोदरा : चेक रिटर्न केस मामले में कोर्ट ने एक साल का साधारण कारावास 4.80 लाख का मुआवजा चुकाने का आदेश दिया 

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दर्ज कराया

वडोदरा : चेक रिटर्न केस मामले में कोर्ट ने एक साल का साधारण कारावास 4.80 लाख का मुआवजा चुकाने का आदेश दिया 

एक वृद्ध ने अपनी बेटी की शादी के लिए पड़ोसी व्यवसायी से 4.75 लाख की राशि उधार लिया था, जिसके एवज में चेक दिया था। समय से रुपये नहीं दे पाने पर व्यवसायी ने चेक बैंक में डिपोजिट कराकर रिटर्न कराने के बाद मामला अदालत में विचाराधीन था। जिस पर अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाया है। 

उधार लिये रुपये के एवज में चेक दिये थे

शिकायतकर्ता चंद्रकांत मफतभाई परमार (निवासी-बरानपुरा) रिद्धि कैटरिंग के नाम से व्यवसाय करते हैं। अभियुक्त काशीबेन डाह्याभाई सोलंकी (निवासी - सोलंकी वास, न्यू खंडेराव रोड, विजय सोसाइटी के बगल में) शिकायतकर्ता के पड़ोसी हैं और उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए उधार पैसे की मांग की। तो फरियादी ने टुकड़े-टुकड़े में 4.75 लाख दे दिए। जिसके एवज में चेक लिया था। 

चेक बाउंस होने पर वित्तीय लेनदेन की विश्वसनीयता कम हो जाती है

चेक रिटर्न होने पर शिकायतकर्ता ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दर्ज कराया। जिसकी सुनवाई अभियोजन पक्ष की ओर से के.बी. पटेल और बचाव पक्ष की ओर से नीरज जैन ने दलीलें पेश की। दोनों पक्षों के तर्कों एवं साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कु. कुसुम दलपतभाई परमार ने कहा कि वित्तीय लेन-देन में कदाचार को रोकने के लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी वित्तीय जिम्मेदारी से नहीं बचता है, चेक बाउंस होने पर वित्तीय लेनदेन की विश्वसनीयता कम हो जाती है, इस अधिनियम का उद्देश्य डिफाल्टर को दंडित करना है। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ तथ्यों को संदेह से परे साबित किया है। यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के निर्णयों को ध्यान में रखते हुए किया गया है कि आरोपी उपयुक्त आयु की महिला है।

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