गुजरात : प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व नेतृत्व में देश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण क्षेत्र में हो रहा है अभूतपूर्व कार्य : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ संकल्प सूत्र के तहत प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव के सान्निध्य में सौराष्ट्र-तमिल संगम की भव्य शुरुआत

गुजरात : प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व नेतृत्व में देश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण क्षेत्र में हो रहा है अभूतपूर्व कार्य : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया सहित अन्य कई महानुभावों की रही प्रेरक उपस्थिति 

सौराष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्व के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव के सान्निध्य में तमिलनाडु तथा गुजरात; इन दो प्रदेशों के मिलन का यह कार्यक्रम भारत के सांस्कृतिक वैभव के दर्शन कराता है। भगवान सोमनाथ महादेव के पवित्र सान्निध्य में और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया सहित महानुभावों की प्रेरक उपस्थिति में सोमवार को केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कर कमलों से ‘सौराष्ट्र-तमिल संगम’ कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सपने को सार्थक करने की दिशा में गुजरात में सौराष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम का आयोजन हुआ है, जिसके कारण यहाँ पधारे तमिल लोगों को भगवान सोमनाथ और अपनी पैतृक भूमि के दर्शन का अवसर मिला है। 

सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ आज देश में संस्कृति की सुरक्षा भी अनिवार्य

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ आज देश में संस्कृति की सुरक्षा भी अनिवार्य है। किसी भी राष्ट्र की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए सीमा सुरक्षा आवश्यक है, उसी प्रकार उसकी अस्मिता बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में इस दिशा में अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। हम देश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण युग के साक्षी बने हैं।

दो प्रदेशों के मिलन का यह कार्यक्रम भारत के सांस्कृतिक वैभव के दर्शन कराता है

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से पूर्व में काशी-तमिल संगम का भव्य आयोजन हुआ था। इस प्रकार के आयोजन भारत की विभिन्न संस्कृतियों के बीच संबंधों को और मजबूत करने वाले और देश की एकता को दृढ़ करने वाले होते हैं। भारत एक विचार के साथ-साथ एक ऐसी अनुभूति भी है, जिसकी व्याख्या शब्दों से नहीं की जा सकती। इस विचार को सदियों से हुए विदेशी आक्रमण भी नष्ट नहीं कर सके। उसी प्रकार सौराष्ट्र की धरती पर समुद्री मार्ग से हुए अनेक आक्रमण सौराष्ट्र के जोश को तोड़ नहीं सके। आक्रमणकारी धन-वैभव लूट ले गए, उन्होंने साथ ही साथ मंदिरों, घरों, विद्यालयों, पुस्तकालयों को तोड़ा और उन्हें नष्ट किया, परंतु वे आक्रमणकारी सौराष्ट्र वासियों के मनोबल को नहीं तोड़ सके और सौराष्ट्र वासी बार-बार उठ खड़े होते रहे हैं। ऐसे सौराष्ट्र वासी अपने धर्म तथा संस्कृति को बचाने के लिए सदियों पहले तमिलनाडु में स्थायी हुए, अपनी मेहनत व बुद्धि से समृद्ध हुए, और उन्होंने तमिलनाडु के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

30 अप्रैल तक गीर सोमनाथ तथा द्वारका में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे

दूध में चीनी की भाँति एक-दूसरे के साथ घुल-मिल जाना और दूसरों को अपना लेना भारतीय संस्कृति का विशिष्ट लक्षण होता है। सौराष्ट्र-तमिल संगम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। ऐसे मूल सौराष्ट्र वासी तमिल आज जब अपने पैतृक भूमि की यात्रा पर आए हैं, तब ऐसा संगम लग रहा है, जैसे भारत के पश्चिमी समुद्र का जल दक्षिणी समुद्र के जल के साथ एक हो रहा हो। रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गाद अपि गरियसी’ अर्थात् माता तथा मातृ भूमि स्वर्ग से भी ऊँचे हैं। इस श्लोक व भाव का जीवंत उदाहरण आज का पवित्र संगम बना है। उन्होंने कहा कि आज का 
कार्यक्रम वर्ष 2006 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी द्वारा तमिल बंधुओं को आमंत्रित किए जाने के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। 

दस दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत पहले दिन 300 तमिल यात्री सोमनाथ पहुँचे

इस अवसर पर वेंकटरमण, त्यागराग भगवापार तथा गुजरात के नरसिंह मेहता जैसे संतों को याद करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की भजन परम्परा को श्रद्धावान मूल सौराष्ट्रियन तमिलों ने आगे बढ़ाया। एक समुद्र के छोर पर भगवान सोमेश्वर शिव बसते हैं, जबकि दूसरे छोर पर भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वरम् है। यह संगम दोनों संस्कृतियों को जोड़ने वाला अद्भुत संगम है। इस समुदाय का इतिहास विकास साधने वाला रहा है। कला-साहित्य तथा भाषा के क्षेत्र में सौराष्ट्र के योगदान की चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि इस संगम में इन सभी क्षेत्रों का सूक्ष्मता के साथ विचार किया गया है। मुझे विश्वास है कि यह संगम दोनों राज्यों के लोगों और दोनों राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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