राजकोट : 28 साल के सीए नैतिक जाजल के ब्रेन डेड होने पर परिवार ने दान किए सारे अंग

 अंगदान से कई लोगों को मिली नई जिंदगी

राजकोट : 28 साल के सीए नैतिक जाजल के ब्रेन डेड होने पर परिवार ने दान किए सारे अंग

राजकोट शहर में यह 105वां अंगदान था और सभी अंगों का दान किये जाने का यह दूसरी घटनी थी

राजकोट के 28 वर्षीय सीए युवक नैतिक जाजल की दुर्घटना में ब्रेन डेड होने के बाद परिवार ने युवक के अंगों को दान करने का फैसला किया। युवक के दोनों फेफड़े, हृदय, दोनों गुर्दे और दोनों आंखें दान की गईं। जिससे कई लोगों को नया जीवन मिला है। साथ ही, राजकोट शहर में यह 105वां अंगदान था और सभी अंगों का दान किये जाने का यह दूसरी घटनी थी।  

हादसे के बाद ब्रेन डेड

29 मार्च की रात नैतिक और उसका दोस्त व उसका परिवार दोपहिया वाहन पर सवार होकर घूमने निकला था। जामनगर रोड पर ग्रैंड मुरलीधर होटल के पास एक अज्ञात कार चालक ने टक्कर मार दी और नैतिक के सिर में गंभीर चोटें आईं। जहां से उन्हें सिविल अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। हालत ज्यादा गंभीर होने पर उसे कुवाड़वा रोड स्थित गोकुल अस्पताल में रेफर कर दिया गया। हालांकि डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली और नैतिक जाजल को ब्रेन डेड घोषित किया गया। हालांकि, उनका हर अंग स्वस्थ होने से परिवार ने उनके अंगों को दान करने का फैसला किया। कमाने वाले एवं युवा पुत्र को खोने के सदमे के बावजूद, परिवार ने दूसरों की मदद करने के लिए खेल भावना दिखाकर एक महान उदाहरण पेश किया।

ग्रीन कॉरिडोर के जरिए अंगों का परिवहन किया गया

मृतकों के अंगों को ले जाने के लिए कुवाड़वा रोड स्थित गोकुल अस्पताल से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। वहां से, अलग-अलग चार्टर विमानों के माध्यम से अंगों को चेन्नई और अहमदाबाद ले जाया गया। इस बारे में टीवी9 से बात करते हुए ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के डॉ. दिव्येश विरोजा ने बताया कि महज 4 मिनट में इन अंगों को कुवाड़वा रोड से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजा गया। जिसमें यातायात विभाग का भी काफी सहयोग रहा और एयरपोर्ट पहुंचने के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी का भी काफी सहयोग रहा। इस नेक कार्य से जुड़े सभी लोगों का डॉ. विरोजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

फेफड़े चेन्नई, किडनी, लिवर और हार्ट अहमदाबाद भेजे गए

ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद, अंगों को चार्टर विमानों के माध्यम से अहमदाबाद और चेन्नई ले जाया गया। हृदय प्रत्यारोपण अहमदाबाद यूएन मेहता अस्पताल में किया गया। फेफड़े का प्रत्यारोपण चेन्नई के एमजीएम अस्पताल और लीवर व किडनी का ट्रांसप्लांट अहमदाबाद किडनी अस्पताल में किया गया। इन अंगों के दान से कई लोगों को नया जीवन दिया गया है। मृतक की मां मायाबेन ने बहुत मार्मिक बात कहते हुए कहा कि शरीर को जलाकर राख कर बहा देने से अच्छा है 5 से 7 लोगों को नया जीवन मिल सक है। इसलिए हमने इस अंगदान के लिए सहमति दी।  इसके अलावा अन्य लोगों से भी अंगदान करने की अपील की।

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