वडोदरा : दर्जी, टेंपो ड्राइवर एवं रबर स्टांप बनाने वाले के बेटों ने सीएमए की कठिन परीक्षा पास की

सीए,सीएस की तरह ही हार्ड मानी जाने वाली सीएमए (कॉस्ट मैनेजमेंट अकाउंटेंट) परीक्षा का परिणाम मंगलवार देर शाम घोषित

वडोदरा : दर्जी, टेंपो ड्राइवर एवं रबर स्टांप बनाने वाले के बेटों ने सीएमए की कठिन परीक्षा पास की

वडोदरा के सीएमए चैप्टर के अनुसार, वडोदरा के आठ छात्रों ने सीएमए की डिग्री हासिल की है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्र भी इसमें चमके हैं। दर्जी के बेटे ने पूरे भारत में नौवीं रैंक हासिल की है, वहीं रबर स्टांप बनाने वाले और टेंपो ड्राइवर के बेटे ने भी सीएमए की डिग्री हासिल की है।

किराए के मकान में रहते हैं, घर का सपना देखते हैं

ऑल इंडिया में नौवीं रैंक और वड़ोदरा में पहली रैंक हासिल करने वाले जय चौहान के पिता टेलर हैं और फ्रीलांसर (छुटक) के तौर पर काम करते हैं। जय चौहान ने कहा कि हम किराए के मकान में रहते हैं और मेरा स्वयं का घर खरीदने का सपना है। CMA इंटर में भी पूरे भारत में मेरी 9वीं रैंक थी। इससे पहले मैंने बीकॉम और एमकॉम डिस्टिंक्शन के साथ पास किया था। एमकॉम करने के बाद मैंने घर में मदद के लिए करीब तीन साल तक नौकरी किया था। जय के मुताबिक जब मैंने सीएमए की तैयारी शुरू की तो नौकरी की वजह से मेरे पास पढ़ने के लिए कम समय था। तब मेरे पिता ने मुझसे कहा कि तुम अपनी नौकरी छोड़ दो और पढ़ाई पर ध्यान दो। मैं थोड़ा और काम कर लूंगा। मुझे खुशी है कि मैंने इंटर में जो रिजल्ट हासिल किया, उसे बरकरार रखा है।

आर्थिक स्थिति के कारण कोचिंग क्लास का खर्च नहीं उठा सकते थे

वडोदरा में दूसरी रैंक हासिल करने वाले मुनीर खत्री शहर के गेंडीगेट इलाके में रहते हैं। उनके पिता रबर स्टैंप बनाने का काम करते हैं। मुनीर ने कहा, "मेरी बहन सीए फाइनल में पढ़ रही है और मैंने उससे आगे पढ़ने की प्रेरणा ली थी। चूंकि आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होने से कोचिंग क्लासेस कर सकूं ऐसी स्थिति नहीं थीं। इसलिए मैंने खुद को सीएमए के लिए तैयार किया। मेरी एलएलबी की पढ़ाई भी खत्म हो गई है। मेरा सपना एमबीए करना है। अब मैं इसे नौकरी करते-करते पूरा करना चाहता हूं।

एक कमरे के मकान में परीक्षा की तैयारी की

सीएमए डिग्री का एक अन्य छात्र विवेक राठौर शहर के करेलीबाग इलाके में एक कमरे के मकान में रहता है। विवेक के पिता टेंपो चालक हैं। घर में आय का कोई अन्य साधन नहीं है। विवेक का कहना है कि मैं एक कमरे के मकान में रहकर डिस्टिंक्शन से बीकॉम और एमकॉम पास किया था। सीएमए की तैयारी भी एक कमरे में रहकर की थी। हालांकि मेरे कजिन ने पढ़ाई में मेरी काफी मदद की। एक समय तो मैंने परिवार की मदद के लिए पढ़ाई छोड़ने का भी सोचा था, लेकिन उस समय मेरे माता-पिता ने मुझे हिम्मत दी। सीएमए की डिग्री लेने के बाद अब मैं किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहता हूं। ताकि परिवार को अच्छी तरह से सेटल कर सकूं।

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