सूरत की पहली महिला आर्मी कैप्टन मीरा दवे ने रामकृष्ण कॉलेज में छात्रों को संबोधित किया

सूरत की पहली महिला आर्मी कैप्टन मीरा दवे ने रामकृष्ण कॉलेज में छात्रों को संबोधित किया

भारत में समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी अनादिकाल से रही है। भारतीय समाज हमेशा महिलाओं के प्रति निष्पक्ष रहा है। भारत में अर्धनारीश्वर का विचार सभ्यता के प्रारंभ से ही विद्यमान है। समय के साथ महिलाओं की भूमिकाएं भी बदल रही हैं। मैं खुद फौज में रही हूं। मेरा ही उदाहरण है। वर्तमान में भारतीय सेना में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

यह बात सूरत की पहली महिला सेना कप्तान मीरा सिद्धार्थ दवे ने श्री रामकृष्ण कोलेज के कार्यक्रम में कही. उन्होंने बताया कि महिलाओं को खुद अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी और समाज के विकास में योगदान देना होगा। उन्होंने छात्राओं को सेना में अपनी सेवा के दौरान की यात्रा को ओडियो विज्युअल के माध्यम से प्रस्तुत किया, जिसने छात्राओं को काफी प्रभावित किया।

वह श्री रामकृष्ण इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर एजुकेशन एंड एप्लाइड साइंस (एसआरकेआई) के महिला विकास प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित "महिलाओं के नेतृत्व में समान तथा न्यायी समाज का विकास" विषय पर एक प्रेरक संगोष्ठी में बोल रही थीं। यह प्लानिंग केंद्र सरकार के जी-20 प्रोग्राम के तहत की गई थी। कॉलेज की आचार्य डॉ. चौलामी देसाई ने कैप्टन मीरा दवे कोतुलसी का पौधा देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का आयोजन महिला विकास प्रकोष्ठ की समन्वयक डो. बिनीता देसाई, डॉ. रूपल स्नेहकुंज और डॉ. संगीता सनाढ्य ने किया। इस अवसर पर प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे और उन्होंने संबोधन का लाभ लिया।
 
मीरा सिद्धार्थ दवे मूलतः वलसाड की रहने वाली हैं और इस क्षेत्र की पहली महिला कप्तान थीं। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अब वह विभिन्न कॉलेजों और संस्थानों में छात्रों को प्रेरित कर रही हैं।