सूरत :  सचिन GIDC में उद्योगपतियों को झटका, बिजली बिल में अचानक बढ़ोतरी पर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन का विरोध

पिछले दरवाजे से पिक-अप चार्ज के नाम पर 45 पैसे प्रति यूनिट की वसूली पर कड़ा ऐतराज, जीईआरसी की अधिसूचना रद्द करने की मांग

सूरत :  सचिन GIDC में उद्योगपतियों को झटका, बिजली बिल में अचानक बढ़ोतरी पर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन का विरोध

सूरत। सचिन जीआईडीसी के 3400 से अधिक एलटीएमडी कनेक्शन वाले उद्योगपतियों को बिजली बिल में अचानक हुए पिक-अप चार्ज (Time of Use - TOU) के नाम पर भारी आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर सचिन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने कार्यकारी अभियंता, जीआईडीसी को ज्ञापन देने के बाद सरकार के ऊर्जा मंत्री कनुभाई देसाई को एक विस्तृत पत्र सौंपते हुए मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि डीजीवीसीएल ने 01 जून 2025 के बाद से कई उद्योगों को पिछली तारीखों (01 जून 2024 से 31 मई 2025) के लिए अतिरिक्त बिजली खपत पर 45 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से पूरक बिल थमाए हैं, जबकि मीटरों में TOU स्लैब रीडिंग की सुविधा ही नहीं थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि उद्योगों से की जा रही वसूली न केवल अनुचित है, बल्कि तकनीकी रूप से भी असंभव थी।

  सचिन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीलेश एम. गामी और सचिव मयूर जे. गोलवाला ने स्पष्ट रूप से कहा कि जीईआरसी की अधिसूचना जारी होने से पहले यह जांच आवश्यक थी कि TOU रीडिंग के लिए आवश्यक सिस्टम और मीटर उपलब्ध हैं या नहीं। बिना तैयारी के मूल्य वृद्धि को लागू करना गैरजिम्मेदार प्रशासनिक निर्णय है।

एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि डीजीवीसीएल ने अधूरे और झूठे पूरक बिल जारी कर दिए हैं, जो न केवल अव्यवहारिक हैं, बल्कि उद्योगपतियों के साथ अन्याय भी है। उन्होंने बताया कि कुछ यूनिट्स को बिल मिले हैं और कुछ को नहीं, जिससे भेदभावपूर्ण रवैया भी उजागर होता है।

एमएसएमई कपड़ा उद्योग जो कि 24x7 उत्पादन करता है, उसके लिए TOU आधारित दरों का कोई औचित्य नहीं बनता। इसके बावजूद, 45 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी उन पर पिछले दरवाजे से बोझ डालने जैसा है, जिससे उनकी लागत, बाजार प्रतिस्पर्धा और मुनाफा प्रभावित हो रहा है।

पिछली तारीख से लागू किए गए पूरक बिलों को तत्काल स्थगित किया जाए। जीईआरसी की अधिसूचना को रद्द किया जाए या संशोधित किया जाए जब तक TOU रीडिंग के लिए सिस्टम तैयार न हो। भविष्य में मूल्य वृद्धि से पहले उद्योग संगठनों को विश्वास में लिया जाए। 

इस गंभीर मुद्दे को लेकर ज्ञापन की प्रतियां जीईआरसी अध्यक्ष, गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड, डीजीवीसीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य अभियंता, साथ ही गुजरात और सूरत चैंबर ऑफ कॉमर्स को भी भेजी गई हैं।

अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार और विद्युत नियामक इस आर्थिक असंतुलन और प्रशासनिक चूक को संज्ञान में लेकर उद्योगों को राहत देंगे या नहीं।

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