सूरत : महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा संचालित शहर का इकलौता महिला पुलिस थाना

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पुलिस शी टीम के सदस्य

सूरत : महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा संचालित शहर का इकलौता महिला पुलिस थाना

महिला पुलिसकर्मियों के स्टाफ में 1 पीआई, 2 पीएसआई, 3 एएसआई, 5 हेड कांस्टेबल, 9 कांस्टेबल और 12 पब्लिक कांस्टेबल शामिल हैं

कन्या के जन्म से लेकर उसकी शिक्षा और विवाह, प्रसव, बच्चों की पढ़ाई तक विभिन्न योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। महिलाओं को समाज में सुरक्षित माहौल मिले, इसके लिए सूरत पुलिस का महिला उन्मुख दृष्टिकोण सूरत शहर का इकलौता उमरा महिला पुलिस थाना है। 1997 से महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा संचालित और 24x7x365 दिन काम करने वाले महिला पुलिस स्टेशन में केवल महिला पुलिसकर्मी ही ड्यूटी पर हैं।

पीड़ितों को न्याय दिलाने में अग्रदूत

स्पेशल शी-टीम के साथ 1 पीआई, 2 पीएसआई, 3 एएसआई, 5 हेड कांस्टेबल, 9 कांस्टेबल और 12 पब्लिक कांस्टेबल सहित 34 महिला पुलिसकर्मियों का स्टाफ। खासकर घरेलू हिंसा या बलात्कार जैसे मामलों में महिलाएं बेझिझक आगे आकर शिकायत दर्ज कराती हैं और ऐसे अपराधों में पीड़िता को न्याय दिलाने में यह थाना अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

बिना दर्ज कराए ही समझाइश कर मामले सुलझा लिए जाते हैं

दिन के 24 घंटे, सप्ताह के सातों दिन और वर्ष के 365 दिन खुले रहने पर जब इस पुलिस स्टेशन में धारा 498 और 323 से संबंधित शारीरिक या मानसिक घरेलू हिंसा के मामले प्राप्त होते हैं, तो प्रतिदिन लगभग 25 आवेदनों में से अधिकांश को बिना शिकायत दर्ज किए समझा-बुझाकर हल कर दिया जाता है। 

समझौते के उत्साहजनक परिणाम मिले

विदित हो कि विभिन्न प्रकरणों में वर्ष 2022 में अब तक कुल 2752 एवं वर्ष 2023 में कुल 413 आवेदन किये गये हैं, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत आवेदनों का पंजीयन भी नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण यहां के कर्मचारियों द्वारा दोनों पक्षों को एक साथ रखने के लिए की गई सकारात्मक काउंसिलिंग है, जिसमें समझौते के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।

काउंसलिंग काफी मददगार साबित होती है

हेड कॉन्स्टेबल मीना गामित का कहना है कि घरेलू हिंसा के मामलों में काउंसिलिंग महिलाओं और उनके परिवारों के लिए बहुत मददगार है। हम दोनों पक्षों के साथ शांति और अनुनय-विनय से काम करते हैं, ताकि समझौता संभव हो सके। उन महिलाओं के लिए जो पुलिस को रिपोर्ट नहीं कर सकतीं, हम डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों और परामर्शदाताओं के माध्यम से पार्टियों को भी समझाते हैं।

शि टीम द्वारा सराहनीय प्रदर्शन

वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक थाने के लिए गठित विशेष टीम शी टीम है, जो बालिकाओं, किशोरियों एवं महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। शहर या जिले के सभी जगहों पर 24 घंटे की पेट्रोलिंग, हर दिन होने वाली छेड़छाड़ या बलात्कार की घटनाओं को रोकने में कारगर साबित हुई है। महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करने में भी कारगर साबित हुई है। इसी तरह उमरा स्थित महिला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत कार्यरत शि टीम का प्रदर्शन भी सराहनीय रहा है।

बालिकाओं, किशोरियों और महिलाओं को सतर्क रखने का कार्य करें

शहर के 15 थानों की पीएसआई टीम के नेतृत्व में पिछले दो साल से इस पद पर कार्यरत सोनल राठवा का कहना है कि टीम का काम केवल दरार रोकने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हम टीम के साथ मिलकर लड़कियों, किशोरियों और महिलाओं को सरकार के विभिन्न  अभियान के तहत सतर्क रखने का काम करते हैं।

एक साल में दो लाख को जागरूक किया 

उन्होंने आगे कहा कि स्वरक्षा अभियान के तहत हमने विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में जाकर 4 लाख से ज्यादा लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया है। हमने बालिकाओं-किशोरियों को 'गुड टच, बैड टच' की जानकारी भी दी है। वह आंकड़े देते हुए कहते हैं कि पिछले साल दो लाख बालिकाओं-किशोरियों-महिलाओं को जागरूक किया गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के मन से पुलिस के डर को दूर करने और उनके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए हम समाज में जाकर महिलाओं को उनके विशेष कानूनों के बारे में मार्गदर्शन करते हैं।

समय पर कॉल आने पर प्रदर्शन

शी-टीम के काम के बारे में वह कहती हैं, "हम महिलाओं की उन स्थितियों में भी मदद करते हैं, जहां उन्हें देर रात अकेले एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है और वे डरी हुई होती हैं। हेल्पलाइन समय पर मदद के लिए सभी कॉलों को अटेंड करती है। इस प्रकार बदलते समय के साथ पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों और महिलाओं को समान स्थान देने के लिए 'लैंगिक समानता' को प्राथमिकता देने वाली केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशील हैं।

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