सूरत : वीर नर्मद विश्वविद्यालय का 54वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी की अध्यक्षता में संपन्न

अपने भले के लिए नहीं, सृष्टि के भले के लिए सोचना भारत का स्वभाव है : राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी

सूरत : वीर नर्मद विश्वविद्यालय का 54वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी की अध्यक्षता में संपन्न

11 संकायों के 88 पाठ्यक्रमों के 28,949 युवा विद्यार्थियों, 63 पीएच.डी. और 6 एमफिल धारकों को को डिग्रियां प्रदान की गईं

राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी ने वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के 54वें दीक्षांत समारोह के दीक्षांत भाषण में भारत के युवाओं को अमृतपुत्र कहा। उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी का विश्व भर में डंका बज रहा है और उन्होंने युवा छात्रों का आह्वान किया कि वे आजीवन छात्र बनें और कॉलेज शिक्षा के माध्यम से प्राप्त ज्ञान का उपयोग न केवल आत्म-सुधार के लिए, बल्कि लोक कल्याण और राष्ट्र निर्माण के लिए भी करें। 

विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 11 संकायों में 88 पाठ्यक्रमों के 28,949 युवा छात्रों को पदक और डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा, 63 पीएच.डी. वहीं 6 एम.फिल धारकों को डिग्रियां प्रदान की गईं। समारोह की खास बात यह थी कि सूर्यपुर संस्कृत पाठशाला सूरत के 11 भूदेवों ने भारतीय संस्कृति की प्राचीन गुरुकुल परंपरा को शंखनाद के साथ प्रस्तुत किया और 10 भूदेवों ने वैदिक मंत्रोच्चारण और ऐतरीय उपनिषद के छंदों का उच्चारण किया।

राज्यपाल ने प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में दीक्षांत समारोह के समय गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षाओं का उल्लेख किया और आगे कहा कि प्राचीन काल में ऋषियों ने प्रकृति की गोद में शिष्यों को शिक्षा दी और उन्हें निरंतर चिंतन करते हुए जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया। उनके सर्वांगीण विकास एवं शिष्यों को उपदेश एवं दीक्षा प्रदान करने के लिए तथा अन्त में 'सत्यंवाद, धर्मम्' चर एवं स्वाध्यायम् प्रमदः'- सत्यवाचन, धर्माचरण तथा अध्ययन में आलस्य का उपदेश दिया। स्नातक छात्रों को सत्य के मार्ग पर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। उन्होंने युवाओं को यह भी सिखाया कि वे अपने माता-पिता और शिक्षकों को भगवान के रूप में सम्मान दें।

प्रख्यात नाटककार पद्मश्री यज्दी करंजिया ने प्रेरक भाषण देते हुए कहा कि कंठ में गीत, हृदय में प्रेम और चेहरे पर मुस्कान आदर्श जीवन की कुंजी है। जीवन में हमेशा समय का सदुपयोग करें, माता-पिता का सम्मान करें और हमेशा मुस्कुराते रहें। सोशल मीडिया, डिजिटल तकनीक आपको वह जानकारी देगी जिसकी आपको जरूरत है, लेकिन केवल शिक्षक-गुरु और माता-पिता ही आपको सच्चा प्यार, गर्मजोशी, ज्ञान और संस्कार देंगे।

 जाने-माने हीरा उद्योगपति पद्मश्री सावजीभाई ढोलकिया ने प्रेरक भाषण देते हुए कहा कि शैक्षणिक और सामाजिक जीवन में आ रही दिक्कतों को दूर करने पर ही सफलता मिलेगी। बचपन में अपनी माँ द्वारा दिए गए तीन नारों 'अच्छे आदमी बनो, बड़े आदमी बनो और अमीर बनो' का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये तीन नारे मेरी सफलता के प्रेरणा स्रोत बने। उन्होंने पाँच वाक्य दिए हैं जिन्होंने उन्हें आज तक अपना जीवन जीने में मदद की है और उन्हें सफल बनाया है - 'मैं सबसे अच्छा हूँ', 'मैं यह कर सकता हूँ', 'ईश्वर हमेशा मेरे साथ है', 'मैं विजेता हूँ', 'आज मेरा दिन है'। कहते हैं कि अगर इसे जीवन में आत्मसात कर लिया जाए तो सफलता आपके कद को चूमेगी।

प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशोर सिंह चावड़ा ने संस्कृत भाषा में उद्बोधन देते हुए कहा कि शिक्षा और पारदर्शी प्रबंधन से विश्वविद्यालय ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने वर्तमान युवाओं को स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालय के सुरक्षित माहौल से बाहर निकलने और चुनौतीपूर्ण करियर यात्रा पर निकलने के लिए सुसज्जित होने के साथ-साथ नई चुनौतियों का सामना करने और समाज के हित में लक्ष्य हासिल करने की शिक्षा दी। 2,31,858 छात्रों की भारी आबादी वाले इस विश्वविद्यालय ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आईडी बनाने में देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। उन्होंने कहा कि 1,55,845 छात्रों को आईडी मिली है।

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