सूरत : मृत्युंजय शर्मा और संजय वसावा की ब्रेन डेड स्थिति में अंगदान से पांच लोगों को मिला नया जीवन

नवी सिविल अस्पताल में केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल भी रहे मौजूद, अंगदाता परिवारों को दी श्रद्धांजलि और सांत्वना

सूरत : मृत्युंजय शर्मा और संजय वसावा की ब्रेन डेड स्थिति में अंगदान से पांच लोगों को मिला नया जीवन

सूरत। सूरत के नई सिविल अस्पताल में बीते 24 घंटे के भीतर दो ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान से पांच जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिला। बमरोली निवासी मृत्युंजय शर्मा और नर्मदा जिले के आदिवासी संजय वसावा के परिजनों ने संकट की घड़ी में भी मानवता का अद्भुत परिचय देते हुए अंगदान का निर्णय लिया।

इस पुनीत कार्य के दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल स्वयं उपस्थित रहे, जो संभवतः देश की पहली घटना है जब कोई केंद्रीय मंत्री अंगदान की प्रार्थना सभा में मौजूद रहा हो। उन्होंने मृतक परिवारों को श्रद्धांजलि दी और उनके संवेदनशील निर्णय की सराहना की।

बिहार के हसपुरा तालुका के डुमरा गांव के मूल निवासी और फिलहाल सूरत के बमरोली क्षेत्र में रहने वाले 36 वर्षीय मृत्युंजय शर्मा मारुति कंपनी में कार्यरत थे। गंभीर हालत में इलाज के लिए नवी सिविल लाया गया, जहां 27 जून को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। उनकी दोनों किडनी और लिवर अहमदाबाद के आईकेडी अस्पताल भेजे गए।

नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा तालुका के भूतबेड़ा गांव के निवासी और वर्तमान में सचिन के पास वांज गांव में रह रहे 23 वर्षीय संजय वसावा का सड़क हादसे में सिर में गंभीर चोट लगी थी। 28 जून को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। उनकी दोनों किडनियां गांधीनगर के अपोलो अस्पताल भेजी गईं।

मृत्युंजय शर्मा की पत्नी नीराबेन, बेटे आयुष और बेटी रोशनी ने सहमति दी, वहीं संजय वसावा की मां उर्मिलाबेन और बहनों कविता, सुनीता, दक्षा ने साहसिक निर्णय लेते हुए अंगदान की इजाजत दी।

इस मानवीय प्रयास को सफल बनाने में डॉक्टर नीलेश कछड़िया, आरएमओ डॉ. केतन नायक, गुजरात नर्सिंग काउंसिल के उपाध्यक्ष इकबाल कड़ीवाला, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जय पटेल और न्यूरोसर्जन डॉ. केयूर प्रजापति सहित नर्सिंग व मेडिकल स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अंगदान चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष दिलीपदादा देशमुख, विधायक संगीताबेन पाटिल, शहर संगठन अध्यक्ष परेश पटेल ने भी परिजनों से भेंट कर श्रद्धांजलि अर्पित की। नवी सिविल अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धारित्री परमार के मार्गदर्शन में पूरे स्टाफ ने दिन-रात अंगदान की प्रक्रिया को सफल बनाया।

यह घटना अंगदान के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई है, जिसने दिखा दिया कि मृत्यु के बाद भी जीवन दिया जा सकता है। दोनों परिवारों ने न केवल पांच जिंदगियों को बचाया, बल्कि समाज को संवेदना, सेवा और जागरूकता का गहरा संदेश दिया।

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