सूरत : हजीरा पोर्ट से सागर परिक्रमा कार्यक्रम के तीसरे चरण की शुरुआत 

सूरत : हजीरा पोर्ट से सागर परिक्रमा कार्यक्रम के तीसरे चरण की शुरुआत 

19 से 21 फरवरी तक होगी सागर परिक्रमा,  महाराष्ट्र में 21 को परिक्रमा का समापन होगा

भारत में नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और मछुआरों को घर पर योजना का लाभ प्रदान करने के लिए केंद्रीय मत्स्य, डेयरी, पशुपालन मंत्रालय द्वारा 19 से 21 फरवरी तक 'सागर परिक्रमा' का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम के तीसरे चरण का उद्घाटन सूरत के हजीरा बंदरगाह से केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तमभाई रूपाला ने किया।

इस संबंध में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग मंत्री पुरुषोत्तमभाई रूपाला ने सूरत सर्किट हाउस में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत केंद्रीय मत्स्य विभाग द्वारा 'सागर परिक्रमा' के तहत तटीय क्षेत्रों में मछुआरों को सरकार द्वारा कार्यान्वित कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रगतिशील मत्स्य किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के प्रावधान के तहत प्रशिक्षित वैन के बारे में जागरूक किया जाता है। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत बर्फ के बक्से के साथ मोटर साइकिल आदि उपकरण, मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड का लाभ उठाया गया है।

सागर परिक्रमा का पहला चरण 5 और 6 मार्च, 2022 को और दूसरा चरण 22 से 25 सितंबर, 2022 तक गुजरात में पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए सफलतापूर्वक पूरा किया गया। रूपाला ने आगे कहा कि आजादी के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा मत्स्य उद्योग की पूरी तरह से उपेक्षा की गई थी। वर्ष 1947 से 2014 तक मात्र 3680 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जिसके खिलाफ वर्तमान केंद्र सरकार समुद्री किसानों के समग्र विकास के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना और मत्स्य पालन के तहत 20 हजार करोड़ और जलीय कृषि बुनियादी ढांचा विकास निधि 7500 करोड़ रुपये  रु. पात्र इकाइयों को रियायती ऋण प्रदान करने के लिए निर्धारित किए गए हैं।

5 हजार करोड़ रुपये की क्रांति योजना लागू की गई है। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में 6000 करोड़ रुपये की एक अतिरिक्त योजना शुरू की गई है। उन्होंने आगे कहा कि आजादी काल के दौरान मछली का उत्पादन दो लाख टन था। जो साल  2013-14 में 61 लाख टन हुआ। उन्होंने कहा कि 2014 से हमारी सरकार के प्रयासों के कारण, पिछले आठ वर्षों में मत्स्य उत्पादन 1.21 करोड़ टन तक पहुंच गया है और आज हमने सफलतापूर्वक 57,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मत्स्य विभाग गुजरात सरकार के सहयोग से कृत्रिम दरार, समुद्री पशुपालन और पिंजरा पालन को बढ़ावा दे रहा है क्योंकि तट पर मछली की मात्रा कम है।

इस मौके पर केंद्रीय मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ. सी. सुवर्णा (आईएफएस), गांधीनगर मत्स्य निदेशक नितिन सांगवान, एनएफडीबी सदस्य  वेल्जी मसानी, सूरत मत्स्य कार्यालय सहायक मत्स्य निदेशक बिंदुबेहन पटेल और प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

Tags: Surat