सूरत : ग्लैंडर की गंभीर बीमारी वाले 6 घोड़ों को मारना पड़ा, 150 से ज्यादा के सैंपल लिए 

सूरत : ग्लैंडर की गंभीर बीमारी वाले 6 घोड़ों को मारना पड़ा, 150 से ज्यादा के सैंपल लिए 

शहर के लाल दरवाजा क्षेत्र के आसपास पशुओं की आवाजाही पर रोक लगाई गई

सूरत के लाल दरवाजा इलाके में एक बड़ी आपदा आई है। पूरे क्षेत्र में घोड़ों में ग्लैंडर नामक बीमारी देखी जा रही है। जिसके चलते कलेक्टर ने पूरी स्थिति पर नजर रखने के आदेश दिए हैं। घोड़ों के सैंपल लिए जा रहे हैं। टेस्ट पॉजिटिव आते ही उन्हें 'दया मृत्यु' देने का फैसला किया गया है।

घोड़े के नमूने लेने में 10 से 12 दिन लगते हैं: पशुचिकित्सक

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मयूर भिमानी ने मीडिया को बताया कि सभी घोड़ों की सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। हमारी टीम ने 20 घोड़ों के सैंपल लिए हैं। घोड़े से रक्त का नमूना लिया जाता है। फिर इसे अहमदाबाद भेजा जाता है। अहमदाबाद से यह सैंपल हरियाणा की केंद्र सरकार द्वारा नामित लैब में जांच के लिए भेजा जाता है और वहीं से यह रिपोर्ट दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में 10 से 12 दिन का समय लगता है। 6 घोड़ों की पॉजिटिव रिपोर्ट पहले आ चुकी है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 15 दिन लग गए।

ग्लेन्डर रोग क्या है?

गधे, घोड़े और खच्चर जैसे घोड़ों में बैक्टीरिया के कारण सांस लेने में तकलीफ और तेज बुखार और त्वचा में घाव जैसे लक्षण देखे जाते हैं। यह लक्षण खांसी वाले घोड़ों में भी देखे जाते हैं।

लाल दरवाजा क्षेत्र से घोड़ों की सैंपलिंग शुरू

सूरत के लाल दरवाजा इलाके में बहुत से लोग घोड़ों का उपयोग करके अपनी आजीविका कमाते हैं। खासतौर पर शादी के सीजन में वे घोड़े किराए पर लेते हैं। बहुत से लोग घोड़े को बग्गी के साथ आर्थिक लाभ के साधन के रूप में जोड़ते हैं। कई लोग शौक के तौर भी पर घोड़े रखते हैं। घोड़ों के मालिकों की चिंता बढ़ गई है। पिछले तीन-चार दिनों से ग्लैंडर नामक बीमारी से घोड़ों की जान को खतरा बना हुआ है। पशु चिकित्सकों द्वारा लिए गए सैंपल के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। अकेले लाल दरवाजा क्षेत्र में ही आज 150 से अधिक घोड़ों के सैंपल लिए गए हैं।

5 किमी तक के क्षेत्र में मवेशियों की आवाजाही पर रोक

जानवरों से इंसानों में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन ने जानवरों को इस इलाके से बाहर ले जाने पर रोक लगा दी है। फिलहाल इंसानों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं। लेकिन सतर्कता के हिस्से के रूप में नगर पालिका ने निगरानी शुरू कर दी है। गुरुवार को उन परिवारों के नमूने लिए जो घोड़े रखते हैं और जिन्होंने ग्लेंडर के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। इसे जांच के लिए लैब भी भेजेंगे। ऐसी संभावना है कि यह रोग घोड़ों से मनुष्य में भी जा सकता है। विशेष रूप से जो लोग ग्लैंडर रोग के लिए पोज‌िटिव परीक्षण कर चुके हैं और घोड़ों के करीब रहते हैं, वे रोग में ग्रसित हो सकते हैं। स्थिति को देखते हुए लाल दरवाजा क्षेत्र में पांच किलोमीटर के दायरे में पशुओं की आवा-जाही पर रोक लगाकर इस बीमारी की रोकथाम का प्रयास शुरू कर दिया गया है।

आखिर में घोड़ों की दया मृत्यु का फैसला लिया गया

सूरत जिले के उप पशुपालन निदेशक डॉ. मयूर भिमानी  के अनुसार  जिन घोड़ों में ग्लैंडर नामक बीमारी पाई गई उनसे अन्य घोड़े भी संक्रमित हो सकते हैं। जिला कलक्टर से विस्तृत चर्चा के बाद उस घोड़े को दया मृत्यु देने का निर्णय लिया है जो ग्लैंडर पॉजीटिव है। डॉक्टर पॉजिटिव घोड़े को इंजेक्शन लगाकर उसकी दया मृत्यु कर रहे हैं। अब तक कुल 6 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है।

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