गुजरात : जंत्री में मूल्य वृद्धि जायज, दोगुनी वृद्धि से झटका लगना भी स्वाभाविक : नितिन पटेल

गुजरात : जंत्री में मूल्य वृद्धि जायज, दोगुनी वृद्धि से झटका लगना भी स्वाभाविक : नितिन पटेल

पिछले साल जंत्री और इसके पंजीकरण से राजस्व लगभग 10,500 करोड़ रुपये था

गुजरात सरकार ने जंत्री के रेट को दोगुना कर दिया है। इसका क्रियान्वयन भी शुरू हो गया है। सोमवार को बिल्डर्स एसोसिएशन क्रेडाई द्वारा मुख्यमंत्री के साथ बैठक की गई। जिसमें उन्होंने कुछ मांगें रखीं। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया। क्रेडाई के नेताओं ने मुख्यमंत्री को सौंपी कि नई जंत्री दर अगले 3 महीने के बाद लागू करने की सिफारिश की। नई दरें लागू होने से घरों की कीमतों में 35 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। पूर्व  उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने जंत्री दरों में वृद्धि को लेकर बयान दिया था।

समय सीमा के अनुरूप जंत्री में की गई वृद्धि न्यायोचित है

नितिन पटेल ने मीडिया को बताया कि राज्य सरकार ने पिछले 11 साल से जंत्री के रेट नहीं बढ़ाए। विभिन्न राज्यों में हर दो से तीन साल में जंत्री दरों में नियमित रूप से वृद्धि की जाती है। गुजरात सरकार ने जंत्री इसलिए नहीं बढ़ाई कि मध्यम और गरीब वर्ग को अपना घर मिले। इसलिए समय सीमा के अनुरूप जंत्री में वृद्धि उचित है। गुजरात सरकार को मिलने वाले कुल राजस्व के अनुपात में जंत्री का राजस्व बहुत सीमित है।

बिल्डरों-उपभोक्ताओं को झटका लगना स्वाभाविक 

उन्होंने कहा कि पिछले साल जंत्री और इसके पंजीकरण से राजस्व लगभग 10,500 करोड़ रुपये था। पिछले साल 10,500 करोड़ जीएसटी और वैट सहित अन्य कर राजस्व की तुलना में कुल राजस्व के अनुपात में जंत्री का राजस्व बहुत कम था। मेरे विचार से यह वृद्धि वाजिब है, लेकिन दोगुनी वृद्धि को देखकर बिल्डरों और उपभोक्ताओं को झटका लगना स्वाभाविक है। सरकार जनता के हित में निर्णय लेगी कि जंत्री में की गई वृद्धि को वापस लिया जाए या कितना प्रतिशत बढ़ाया जाए।

कांग्रेस को नितिन पटेल ने आड़े हाथों लिया

नितिन पटेल ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने कल कहा था कि सरकार गुजरात की जनता से 40 हजार करोड़ की राशि वसूल करेगी। कांग्रेस के ये आरोप बेबुनियाद हैं। कांग्रेस अभी भी गुजरात के लोगों द्वारा सिखाई गई सीख से बाहर नहीं आ रही है। अगर पिछले साल सरकार की आय 10,500 करोड़ थी और अब जंत्री दोगुनी हो गई है, तो सरकार की आय 22 से 24 हजार करोड़ हो जाएगी। राज्य सरकार बजट सत्र के बाद नए नियम भी लागू कर सकती है।