सूरत : पार्सल की साइज को लेकर लेबर यूनियन का फरमान SGTTA ने किया खारिज

सूरत : पार्सल की साइज को लेकर लेबर यूनियन का फरमान SGTTA ने किया खारिज

साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (एसजीटीटीए) की कोर कमेटी की एक आवश्यक मीटिंग हुई

 साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (एसजीटीटीए) की कोर कमेटी की एक आवश्यक मीटिंग संस्था के अध्यक्ष सुनील कुमार जैन के नेतृत्व में शुक्रवार 13 जनवरी 2023 को हुई। 4 जनवरी को लेबर यूनियन और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने मिलकर पार्सल के साइज को लेकर एक फरमान जारी किया है कि 15 जनवरी के बाद बड़े साइज के पार्सल ना लेबर लेकर जाएंगे और ना ट्रांसपोर्टर माल बुक करेंगे। यह आवश्यक मीटिंग इसी विषय वस्तु पर विचार कर रणनीति तय करने के लिए आयोजित की गई।

 बरसों से मुकादम ट्रेडर्स भाइयों के साथ मिल जुलकर काम करते आए हैं

मीटिंग में कोर कमेटी के सभी मेंबर्स ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए अव्यवहारिक, व्यापार विरोधी और मुकादम की रोजी रोटी पर प्रहार करने वाला बताया। बरसों से मुकादम ट्रेडर्स भाइयों के साथ मिल जुलकर काम करते आए हैं। जब भी उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या आई तो आपसी सहमति और विचार विमर्श के द्वारा ही उसका समाधान निकाला गया।  

लेबर यूनियन व ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का यह फरमान व्यापारी और मुकादम के बीच में दरार बढ़ाने वाला है। आज के इस वातावरण में इस प्रकार के फरमान का निष्कर्ष संभवतः पार्सल का भाड़ा बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाने की सोच ही समझ में आती है। जबकि भाड़ा ट्रांसपोर्टर और बायर (होलसेलर) नक्की करते हैं। अलग अलग मंडियों में ट्रांसपोर्टर से सहमति के तहत जो अच्छी डील व्यापारियों को देता है उस ट्रांसपोर्ट के माध्यम से ट्रेडर्स भाई भेजते रहे हैं।

 रेलवे ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देने पर भी विचार करने की जरूरत महसूस होने लगी है

आज व्यापार की परिस्थितियां किसी से छुपी हुई नहीं हैं। ऐसे माहौल में कभी ग्रे एसोसिएशन का...कभी प्रॉसेसर एसोसिएशन का...और अब लेबर यूनियन व ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का यह फरमान हम ट्रेडर्स भाइयों को बहुत आहत करता रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि आने वाले कल में ट्रेडर्स भाई कोई सख्त कदम उठाने को मजबूर हो जाएं।  समय आ गया है कि जब ट्रेडर्स भाइयों को ट्रांसपोर्ट के विकल्प के रूप में रेलवे ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देने पर भी विचार करने की जरूरत महसूस होने लगी है। आज डीजल पेट्रोल की रेट के मद्देनजर 55..60 साड़ी की पार्सल पर भी अगर आपत्ति आएगी तो व्यापारी किस तरह यह भाड़ा सहन कर पाएगा। यह भी एक बड़ा सवाल है। 

मार्जिन को देखते हुए आज भी यह भाड़ा बहुत अधिक है

कोर कमेटी में इस बात का भी जिक्र आया कि डीलर से इस विषय पर बात होने पर उन्होंने यह कहा कि इस साइज से कम के पार्सल का भाड़ा हम लोग कतई स्वीकार नहीं करेंगे। क्योंकि मार्जिन को देखते हुए आज भी यह भाड़ा बहुत अधिक है। वर्षों से मुकादम जिस अच्छे वातावरण में सभी तरह के साइज को ट्रांसपोर्ट पर पहुंचाता आया है। उसे देखते हुए यह फरमान समझ से परे है। अंत में कोर कमेटी के सभी सदस्यों ने लेबर यूनियन के इस फरमान का एक स्वर से पुरजोर विरोध किया। आगामी दिनों में जरूरत पड़ने पर सख्त कदम उठाने के लिए एसजीटीटीए को अधिकृत किया गया।