सूरत : तराशे हीरों के व्यापार में गिरावट के बाद हालात मुश्किल, बड़ी कंपनियों का परिचालन मुश्किल

सूरत : तराशे हीरों के व्यापार में गिरावट के बाद हालात मुश्किल, बड़ी कंपनियों का परिचालन मुश्किल

स्टाफ में भी कटौती, रफ डायमंड प्रोड्यूसर्स ने काम के घंटे 11 से घटाकर 5 किए, ज्यादा कमाई करने वालों की सैलरी में कटौती

मंदी के कारण कारोबार में आई गिरावट और कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच सूरत की प्रमुख हीरा कंपनियों ने परिचालन में कटौती लागू की है। कई कंपनियों ने काम के घंटे कम कर दिए हैं। लिहाजा दो-तीन बड़ी कंपनियों ने अतिरिक्त इकाइयां बंद कर दी हैं और कर्मचारियों की छंटनी कर दी है।

यूनिट्स बंद करने के बजाय काम के घंटे घटाना समझदारी

फिलहाल सबसे खराब स्थिति मोटे हीरों की मैन्युफैक्चरिंग की है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मोटे हीरों में 30 से 35 फीसदी कैरेट की कमी के बाद विनिर्माताओं की हालत काफी खराब है। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद करने के बजाय, काम के घंटों को कम करना या अतिरिक्त यूनिट्स को बंद करना समझदारी है। बड़े निर्माताओं के पास अब पर्याप्त काम नहीं है। इसलिए कुछ  निर्माताओं ने काम के घंटे 11 से घटाकर 5 कर दिए हैं। साथ ही श्रमिकों के वेतन में मामूली कटौती की है। 1 लाख रुपये से अधिक वेतन पाने वालों के लिए 50 प्रतिशत कटौती। जबकि 15 हजार रुपये से कम सैलरी में कोई कटौती नहीं है। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 30 हजार से एक लाख रुपये तक दो से पांच हजार रुपये की कटौती की गई है।

कुछ बडे निर्माताओं ने  कारीगरों को तीन महिने का वेतन देकर इकाइयां बद कर दी

हीरा उद्योग से जुडे सूत्रों से पता चला है कि  मोटे हीरों का निर्माण मुश्किल है, इसलिए कुछ निर्माताओं ने अतिरिक्त इकाइयां बंद कर दी हैं। यहां तक ​​कि कर्मचारियों को तीन महीने का वेतन भी दिया है। बड़ी हीरा फर्मों ने मौजूदा हालात से निपटने के लिए बड़ा फैसला लिया है। वास्तव में अभी जो समय है वह जैसे तैसे कट जाने के लिए डायमंड उद्यमी मेहनत कर रहे है।

मौजूदा स्थिति खराब है लेकिन 2008 की भयानक मंदी से तुलना नहीं की जा सकती

पिछले तीन महीनों से व्यापार धीमा पड़ा है क्योंकि हीरा उद्योग को बार-बार कठिन समय का सामना करना पड़ा है। हालांकि, हीरा उद्योग में इस बात की सुगबुगाहट है कि क्रिसमस पर भी वैश्विक स्तर पर कारोबार सुस्त पड़ गया है। स्थिति खराब जरूर है लेकिन 2008 की मंदी जैसी नहीं। वर्तमान स्थिति की तुलना 2008 की भयानक मंदी से करना उचित नहीं है क्योंकि तब स्थिति बहुत विकट थी। रिपोर्ट के अनुसार  फिलहाल कारीगर-कर्मचारी को तीन-चार महीने तक किसी तरह बचाए रखने की कोशिश की जा रही है।

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