सूरत : खाने-पीने की पार्टी में के बजाय कुछ युवाओं ने गरीबों की मदद करके नये साल का का जश्न मनाया

सूरत : खाने-पीने की पार्टी में के बजाय कुछ युवाओं ने गरीबों की मदद करके नये साल का का जश्न मनाया

सूरत के कुछ युवाओं के एक समूह ने भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और जरूरतमंदों की मदद करते हुए सेवा कार्य कर नए साल का स्वागत किया। एक समूह ने कुष्ठ रोगियों से दूर रहने के लिए ड्रेसिंग और मलहम सहित सामग्री प्रदान करके नए साल की शुरुआत की है। वहीं ग्रुप जो 365 दिन जरूरतमंदों को खाना मुहैया कराता है, ने सूरत की रात में सफाई करने वाले सफाईकर्मियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को खाना देकर नए साल का जश्न मनाया।

हालाँकि 31 दिसंबर और 1 जनवरी का त्योहार ईसाई कैलेंडर से संलग्न है, फिर भी सूरत सहित भारत में अधिकांश लोग बिना जाति-धर्म के अंतर के इस त्योहार को मनाते हैं। इस त्यौहार के बाद खाने-पीने की पार्टी होती है। लेकिन सूरत में कुछ युवा समूह ऐसे भी हैं जो इस तरह से खर्च करके पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने की बजाय भारतीय परंपरा के अनुसार इस त्योहार को मनाकर भारतीय संस्कृति का संरक्षण कर रहे हैं।

होप चैरिटेबल ट्रस्ट संस्था 365 दिन जरूरतमंदों को भोजन कराती है

सूरत का होप चैरिटेबल ट्रस्ट 365 दिन विभिन्न सेवा गतिविधियों को अंजाम देता रहता है।  इस समूह के जिग्नेश गांधी और उनके संगठन के सदस्यों ने 31 दिसंबर को पार्टी करने के बजाय पौष्टिक भोजन तैयार किया और सड़क पर निकल गए। इस टीम ने शहर की सड़कों की सफाई कर सूरत को स्वच्छता में अग्रणी नंबर दिलाने वाले नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों को भोजन कराया। कड़ाके की ठंड में देर रात काम करने वाले सफाईकर्मियों को खाना खिलाने के बाद सुबह-सुबह गांधी और उनकी टीम स्लम एरिया में बच्चों के लिए खाना लेकर निकल गई। वे झुग्गी-झोपड़ियों में ऐसे बच्चों को ढूंढते हैं जिन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता और वे उन्हें भोजन देते हैं। इसके अलावा उन्होंने 1 जनवरी को पार्टी करने के बजाय लोगों की जान बचाने के लिए रक्तदान भी किया।

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एक संस्था जरूरतमंदों को सामान मुहैया कराकर उनका बोझ कम करती है

 

सोशल आर्मी ग्रुप कुष्ठ तथ टीबी के मरीजों को दवाईयां व ड्रेसिंग किट दी गई

होप चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह सोशल आर्मी ग्रुप ने समाज के हाशिए पर पड़े लोगों की जरूरतों को पूरा कर नए साल के जश्न की शुरुआत की है। यह ट्रस्ट समय-समय पर सेवा कार्य भी करता है। ट्रस्ट के मिलन मेहता कहते हैं, हमारी टीम में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सदस्य भी हैं। उन्हें जानकारी थी कि वरियाव का एक आश्रम है जहां कुष्ठ जैसी गंभीर बीमारी के मरीज रखे जाते हैं। कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए इस आश्रम में पिछले कुछ समय से दवा की कमी है। इसी तरह टीबी रोग से पीड़ित मरीजों को भी दवा किट मिलने में परेशानी होती है, इसलिए यह दल एकजुट होकर वरियाव  स्थित रक्तपीच आश्रम में गया और एक माह तक चलने वाली पर्याप्त दवा व ड्रेसिंग किट उपलब्ध कराकर नववर्ष के उत्सव को सार्थक बनाया।

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