
इसरो का गगनयान मिशन : भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 2024 में प्रस्तावित
अंतरिक्ष में भारत की पहली चालक दल की यात्रा - गगनयान, 2024 के लिए निर्धारित है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवरहित 'जी1' मिशन 2023 की चौथी तिमाही में लॉन्च होगा, दूसरा मानव रहित' G2' मिशन 2024 की दूसरी तिमाही में लॉन्च होगा, और अंतिम मानव अंतरिक्ष उड़ान 'H1' मिशन 2024 की चौथी तिमाही में लॉन्च होगा। मंत्री ने कहा कि मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए व्यक्तियों को चुना गया है और वे बेंगलुरु में मिशन-विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
Govt says country's maiden human space flight mission, #Gaganyaan targeted to be launched in 4th quarter of 2024: @DrJitendraSingh
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 22, 2022
In view of paramount importance of crew safety, two uncrewed flights scheduled to demonstrate the performance. @MIB_India pic.twitter.com/bgaVcCidWz
10,000 करोड़ रुपये की परियोजना का उद्देश्य तीन व्यक्तियों के भारतीय चालक दल को पांच से सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 2018 में लाल किले से अपने गणतंत्र दिवस के भाषण में गगनयान मिशन का उल्लेख किया था।
हालांकि, विभिन्न समस्याओं के कारण कार्मिक मिशन को स्थगित कर दिया गया है। महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और क्षमताओं को प्रदर्शित करने और परीक्षण करने के लिए पिछली तारीख से 40 महीनों के लिए दो अनक्रूड लॉन्च निर्धारित किए गए थे।
चंद्रमा पर संपद्दा और हमारे सौर मंडल से परे माइक्रोबियल जीवन के सुरागों की खोज में के लिये देश ब्रह्मांड की ओर कूच किये हुए हैं। चीन, हालांकि अंतरिक्ष अन्वेषण में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस से पीछे है, लेकिन अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण, क्षुद्रग्रहों से नमूने पुनर्प्राप्त करने और मंगल की सतह पर ट्रेकिंग करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं की दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है। वहीं भारतीय चालक दल की अगुवाई वाले मिशन से भारत इस दौड़ के केंद्र में खड़ा हो जायेगा, जिसका दुनिया के बदलते भू-राजनीतिक वातावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के अलावा, जो लो अर्थ ऑर्बिट में उपग्रहों की वैश्विक मांग को पूरा करता है, भारत ने चंद्रमा और मंगल के लिए कम लागत वाली उड़ानें की हैं।