बढ़ती महंगाई और मंदी के आसन्न खतरे का टेक्सटाइल और एपरेल उद्योग पर है विपरित प्रभाव

बढ़ती महंगाई और मंदी के आसन्न खतरे का टेक्सटाइल और एपरेल उद्योग पर है विपरित प्रभाव

बढ़ती महंगाई और आर्थिक मंदी के डर के कारण अमेरिका तथा युरोपीय देशों में डिमांड में आई कमी के चलते देश के 200 अरब डॉलर के टेक्सटाइल और एपरेल उद्योग पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ा है। रशिया-युक्रेन जंग के बाद दुनिया भर में महंगाई काफी बढ़ गई है जिसके कारण लोग उपभोग की विभिन्न वस्तुओं में कटौती कर रहे हैं और वस्त्र भी उसी सूची में आते हैं। 

वैसे भारतीय अर्थतंत्र अन्य देशों की तुलना में सशक्त है परंतु टेक्सटाइल सैक्टर अपवाद रूप कहा जा सकता है और वर्तमान में जो ऑर्डर इंडस्ट्री को मिले हुए हैं उसे देखते हुए लगता है कि वर्ष 2023 में इसमें और कमी आयेगी।

गौरतलब है कि देश का कपड़ा उद्योग लगभग 4.50 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। मंदी के हालात में इस रोजगार में कमी आ सकती है। सनद रहे कि नवंबर महीने में लगातार पांचवे माह गारमेंट के निर्यात में कमी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में निर्यात 15 प्रतिशत घटकर 3.10 अरब डॉलर रह गया। देश के कुल निर्यात में टेक्सटाइल क्षेत्र का हिस्सा 200 अरब डॉलर का है।

बढ़ते खर्च और सस्ते आयाती गारमेंट्स के कारण घरेलू उत्पादकों की स्थिति विकट हुई है। चालू साल की शुरुआत में आकर्षक बिक्री हासिल करने के बाद स्थानीय कपड़ा इकाइयां अब उत्पादन में कटौती करने को बाध्य हो रही हैं। सितंबर की तिमाही में उत्पादन में 4.30 प्रतिशत की कटौती हुई बताई गई है।

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