पत्नी पढ़ी लिखी हो तो भी पति नहीं कर सकता गुजारा भत्ता देने से इंकार

गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया इसे खारिच

अगर पत्नी पढ़ी लिखी है और पति से अलग रह रही तो भी पति को पत्नी का गुजारा भत्ता देना अनिवार्य हैं। ये जानकारी पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा। गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पति पत्नी के पढ़े लिखे होने की बात कह कर अपने जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकता। इस दलील को काट हुए कोर्ट ने कहा कि ये दलील देकर पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता।इस याचिका को दाखिल करते हुए अंबाला के एक युवक ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका विवाह 2016 में हुआ था। इसके कुछ समय बाद याची की पत्नी उसे बिना किसी कारण छोड़ कर चली गई। इसके बाद उसने गुजारा भत्ता के लिए अंबाला की फैमिली कोर्ट में आवेदन किया। जहां कोर्ट ने पत्नी के हक में फैसला सुनाते हुए उसे 3600 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। 

इसके बाद पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा कि एक दवा की दुकान पर सहायक का काम करने वाला वो मासिक 4000 रुपये कमाता हैं, जबकि उसकी पत्नी ने हिंदी में एमए किया है और उसका पिता वकील के क्लर्क के रूप में काम करता है। ऐसे में परिस्थितियों को देखते हुए गुजारा भत्ता देने का आदेश सही नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी की बात करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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