दिल्ली हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण बयान : शादी से पहले बीमारी को छुपाना धोखाधड़ी, रद्द हो सकती है शादी

भारत में शादी को सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है। शादी के बाद पति और पत्नी बीच किसी भी तरह का राज ना रहे यह बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हालांकि क्या हो यदि शादी के पहले का कोई भी राज पति या पत्नी द्वारा छिपाया गया हो। खासतौर पर यदि यह राज उनकी बीमारी को लेकर हो तो क्या किया जाए?
इसी तरह के एक केस की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। जिसके अनुसार शादी के पहले किसी भी तरह की बीमारी छुपाना एक धोखाधड़ी है और इस कारण से शादी को रद्द भी किया जा सकता है। कोर्ट द्वारा फैमिली कोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए शादी को रद्द करने का आदेश जारी किया गया था। जस्टिस विपिन सांधी और जस्टिस जसमीत सिंह की बैच द्वारा शादी को रद्द करते हुए बताया गया कि किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, इसमें उसकी भूल नहीं है। पर इस किस्से में युवती की तबीयत खराब थी और उसका इलाज चालू था, यह बात उसके पति से छिपाई गई। कॉलेज के दौरान ही पत्नी के इस सरदर्द की बीमारी का इलाज चालू था। हालांकि महिला ने कभी भी यह स्पष्ट नहीं किया कि उसे यह सर दर्द क्यों होता है।
अपनी पत्नी के इस समस्या से पति के 16 साल का शादीशुदा जीवन बिना किसी निराकरण के फंसा हुआ पड़ा था। इन सालों में पति कभी भी अपनी शादीशुदा जीवन का वैवाहिक आनंद और संतोष नहीं ले पाया। यही नहीं उसके पिता द्वारा भी उसे काफी कुछ सहना पड़ा। पति ने अपनी आवेदन में कहा उसकी शादी 10 दिसंबर 2005 को हुई थी, पर उसे उसकी पत्नी की बीमारी के बारे में छिपाया गया था। इस तरह उसकी पत्नी की बीमारी के बारे में पति से सच छिपाकर उसके साथ धोखाधड़ी की गई। शादी के पहले से ही महिला एक्यूट स्किजोफ्रेनीया से पीड़ित थी। शादी के बाद घर पर और हनीमून के दौरान भी महिला ने पर असामान्य वर्तन किया था। जिसके चलते उसने जनवरी 2006 में अपनी पत्नी को जीबी पंत हॉस्पिटल तथा अन्य कई हॉस्पिटल में दिखाने ले गया। जहां हिंदू राव हॉस्पिटल के डॉक्टर को देखकर महिला ने स्वीकार किया उसने इस डॉक्टर से पहले भी दवा ली थी और वह एक्यूट स्किजोफ्रेनीया से पीड़ित है।
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