इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म से जुड़े पूर्व शिया वफ़्फ़ बोर्ड के चैरमेन वसीम रिजवी, त्यागी समाज से जोड़ा नाता

इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म से जुड़े पूर्व शिया वफ़्फ़ बोर्ड के चैरमेन वसीम रिजवी, त्यागी समाज से जोड़ा नाता

कुरान में से 26 आयतों को हटाने का किया था आवेदन, मुस्लिम संगठनों द्वारा वसीम को मुस्लिम विरोधी संगठनों का एजंट बताया गया

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने आखिरकार इस्लाम छोड़ दिया और हिंदू धर्म अपना लिया। उत्तर प्रदेश के प्रमुख मुस्लिम नेताओं में से एक वसीम रिज़वी आज इस्लाम छोड़कर हिंदू बन गए हैं। यति नरसिम्हानंद सरस्वती ने गाजियाबाद में उनका धर्म परिवर्तन कराया। वसीम रिजवी ने कहा की हर शुक्रवार को मेरे सिर पर इनाम की बढ़ोतरी होती है, इसलिए आज वह सनातन धर्म अपनाने जा रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रिजवी ने आज (सोमवार- 6-12-2021) सुबह 10.30 बजे गाजियाबाद के दशना देवी मंदिर में हिंदू धर्म अपनाया था। यति नरसिम्हानंद गिरि महाराज ने उन्हें पूरे धार्मिक संस्कारों के साथ उनका हिंदू धर्म में स्वागत किया।
वसीम रिजवी ने कुछ दिन पहले ही अपनी वसीयत का ऐलान किया था। जिसमें उन्होंने घोषणा की कि उन्हें मृत्यु के बाद दफनाया ना जाये, बल्कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाये। रिजवी ने एक वीडियो में कहा, "मुझे मारने और मेरी गर्दन काटने की साजिश बनते जा रही है। मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने कुरान की 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मुसलमान मुझे मारना चाहते हैं और उन्होंने घोषणा की है कि वे मुझे कब्रिस्तान में जगह नहीं देंगे। इसलिए मेरी मृत्यु के बाद मेरा दाह संस्कार कर देना चाहिए।"
वसीम रिजवी ने इस मौके पर कहा, 'बात धर्मांतरण की नहीं है। जब मुझे इस्लाम से निकाला गया तो यह मेरी पसंद थी कि किस धर्म को स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का पहला धर्म है, इसमें किसी भी अन्य धर्म की तुलना में अधिक अच्छी चीजें हैं। वसीम रिजवी ने पहले घोषणा की थी कि वह सोमवार को इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म में शामिल हो जाएंगे। इस मौके पर यति नरसिम्हानंद सरस्वती ने कहा कि हम वसीम रिज़वी के साथ हैं, वसीम रिज़वी त्यागी समाज से जुड़ेंगे।
वसीम रिजवी को अक्सर कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कुरान से 26 आयतों को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद से रिजवी को मुस्लिम संगठन निशाना बना रहे हैं। मुस्लिम समूहों का यह भी कहना है कि रिजवी का इस्लाम या शिया समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है। रिजवी को मुस्लिम संगठन मुस्लिम विरोधी संगठनों का एजेंट मानते हैं।