लॉकडाउन की मार झेल रहा बॉलीवुड, एक एक रुपए के मोहताज हुए जूनियर आर्टिस्ट

लॉकडाउन की मार झेल रहा बॉलीवुड, एक एक रुपए के मोहताज हुए जूनियर आर्टिस्ट

शूटिंग के बंद हो जाने की वजह से लाखों जूनियर आर्टिस्ट्स भूखमरी के कगार पर, खाने से लेकर भाड़े देने तक के पैसे नहीं

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण महाराष्ट्र में एक बार फिर से लॉकडाउन हो चुका हैं और ऐसे में टीवी सीरियल्स की शूटिंग ठप पड़ी है और ऐसे में सीरियल और फिल्मों में साइड आर्टिस्ट के तौर पर काम करने वाले लोगों के फिर से बेरोजगार हो चुके है। इनमें में से कई लोगों के भूखे रहने तक की नौबत आ गई है। परिवार की जिम्मेदारी और तंगहाली की वजह से जूनियर आर्टिस्ट्स छोटे-मोटे काम कर गुजर बसर करने को मजबूर हैं। इतनी खराब स्थिति चल रही है कि किसी को छोटा-मोटा काम तक नहीं मिल पा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले 15 साल से जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम कर रही भावना, केदारनाथ, तीस मारखा, अग्निपथ, स्लमडॉग, गजनी जैसी 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। 37 वर्षीय जूनियर आर्टिस्ट लॉकडाउन के कारण घर पर हैं। सिंगल मदर भावना पिछले तीन महीने से किराया भी नहीं दे पा रही है। अपने बुरे वक्त के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं सिंगल मदर हूं, मां के साथ रहती हूं। मेरी घरेलू आय शूटिंग पर निर्भर करती है। पिछले तीन माह से किराया भी नहीं दे पा रही हूँ। जिंदगी कर्ज में डूबी गुजर रही है। कई जगह चौकीदार की नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन कुछ नहीं हुआ।
(Photo :aajtak.com)वहीं अमजद नाम के एक अन्य जूनियर कलाकार ने कहा कि वह पिछले दो साल से ईद पर अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं खरीद पा रहे हैं। मैं पिछले दो महीने से घर पर हूं। मेरे घर में तीन बच्चे हैं, पत्नी और माता-पिता। काम के अभाव में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। अलग-अलग जगहों पर काम के लिए अप्लाई किया लेकिन कोरोना के चलते हर कोई लेने से मना करता हैं। मैं फिलहाल उसके साथ एक दोस्त के सब्जी ट्रक पर खड़ा ग्राहकों को बुलाने का काम कर रहा हूं और वहाँ से रोज के रोज कुछ पैसे मिल जाते है। अब मैं शूटिंग शुरू होने का इंतजार कर रहा हूं।
(Photo :aajtak.com)महिला कलाकार संघ की लक्ष्मी का कहना है कि बीते साल जिस तरह से प्रोडक्शन हाउस और सितारों ने आगे आकर हमारी मदद की इस साल उस तरह से कोई नहीं कर रहा है। हमें मदद के लिए और काम करने की जरूरत है। मैं बहुत दिनों से घर पर बैठी हूं। पुरुष हो तो रिक्शा चलाकर या कोई अन्य काम चलाकर गुजारा कर सकता है, लेकिन महिला क्या करें? हमारे यूनियन में ज्यादातर महिलाएं सिंगल, विधवा, डिवोर्सी या सिंगल पैरंट हैं। मैं खुद सिंगल मदर हूं और फ़िलहाल खाने के लिए मोहताज हूँ। मैं रोजाना अपने बेटे के साथ भाई के घर खाना खाने जाती हूं और कोई चारा ही नहीं है। बस अब आशा है कि जल्द से जल्द शूटिंग शुरू हो जाएगी और हमारी समस्या ख़त्म होगी।