अदालत ने शाहरुख के ‘प्रोडक्शन हाउस’ की कर्मचारी के परिवार को मुआवजा देने का फैसला बरकरार रखा
मुंबई, 12 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेता शाहरुख खान के ‘प्रोडक्शन हाउस’ की एक कर्मचारी के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि पूर्ण मुआवजा मिलना मुश्किल होता है लेकिन उचित मुआवजा मिलना नियम होना चाहिए।
शाहरुख खान के ‘प्रोडक्शन हाउस’ की कर्मचारी एक ‘हिट एंड रन’ मामले में घायल हो गयी थी और बाद में उसकी मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी एवं न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की पीठ ने नौ मई को कहा कि उसे मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा नवंबर 2020 में पारित आदेश में कोई विकृति, अवैधता या अनियमितता नहीं मिली और उसने इसे रद्द करने से इनकार कर दिया।
उसने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम एक ‘‘लाभकारी कानून’’ है और अदालत अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार की अनदेखी नहीं कर सकती जिसमें गरिमा के साथ स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार शामिल है।
अदालत ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी का जीवन जाने पर धन उसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर सकता लेकिन जहां धन से नुकसान की भरपाई हो सके, वहां मुआवजा देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा, ‘‘पूर्ण मुआवजा शायद ही संभव हो, लेकिन उचित मुआवजा दिया जाना नियम होना चाहिए।’’
इसी के साथ अदालत ने शाहरुख के ‘प्रोडक्शन हाउस’- ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ की एनिमेटर चारू खंडाल के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला बरकरार रखा।
खान की फिल्म ‘रा.वन’ के लिए वीएफएक्स का काम करने वाली खंडाल की 2017 में मौत हो गई थी। इससे पांच साल पहले एक तेज रफ्तार कार की टक्कर लगने से वह लकवाग्रस्त हो गई थीं। कार ने उस ऑटोरिक्शा को टक्कर मार दी थी जिसमें वह यात्रा कर रही थीं।
खंडाल जब दुर्घटना का शिकार हुईं तब वह 28 साल की थीं। वह फिल्म के लिए पुरस्कार मिलने का जश्न मनाने के लिए आयोजित पार्टी से लौटते समय दुर्घटना का शिकार हुई थीं।
पीठ ने न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली ‘चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ की याचिका को खारिज कर दिया।
दुर्घटना के बाद खंडाल के परिवार ने जून 2014 में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष मुआवजे के लिए दावा दायर किया था और न्यायाधिकरण ने 62 लाख रुपये का मुआवजा देने का नवंबर 2020 में आदेश दिया था।