ताले से लेकर रेफ्रिजरेटर तक बनाने वाली इस 125 साल पुरानी कंपनी के साथ सीएमडी के तौर पर जुड़ेंगी राजघराने की बहू

ताले से लेकर रेफ्रिजरेटर तक बनाने वाली इस 125 साल पुरानी कंपनी के साथ सीएमडी के तौर पर जुड़ेंगी राजघराने की बहू

नायरिका होल्कर ने 2017 में इस कंपनी के बोर्ड को जॉइन किया था

देश की मशहूर गोदरेज कंपनी को जल्द ही उसका नया सीएमडी मिलने जा रहा है। इस पद पर कार्यरत होने जा रही है इंदौर के मशहूर होल्कर राजघराने की बहू नायरिका होल्कर। ताले से लेकर रेफ्रिजरेटर तक बनाने वाली इस 125 साल पुरानी कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नायरिका होल्कर 12,000 करोड़ रुपये की कंपनी की सीएमडी बनने जा रही हैं। लोग उन्हें जमशेद गोदरेज के उत्तराधिकारी के तौर पर देख रहे है। जमशेद ने उन्हें फाइनेंस के मामले में कंजरवेटिव रुख अपनाएं और कंपनी के लिए अगले 125 साल की योजना बनाकर चलने की सलाह दी है।
जानकारी के लिए बता दें कि नायरिका 2017 में इस कंपनी के बोर्ड को जॉइन किया था। वह जमशेद की बहन स्मिता कृष्णा की बेटी हैं। अमेरिका को कोलाराडो कॉलेज से फिलॉसफी और इकनॉमिक्स में बीए करने के बाद ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन से एलएलबी (LLB) और एलएलएम (LLM) की डिग्री लेने वाली नायरिका की शादी 2015 में उनके बचपन के दोस्त और होल्कर राजघराने के यशवंत राव होल्कर से हुई है।
हालांकि गोदरेज परिवार में बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन जमशेद ने इस पर कहा कि हमने इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करने का फैसला किया है। जमशेद गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज  और गोदरेज एग्रोवेट के चेयरमैन नादिर गोदरेज के कजन हैं। जमशेद ने बताया कि नायरिका की बिजनस में दिलचस्पी है और वह जुनूनी भी हैं। इस बारे में और बात करते हुए उन्होंने कहा “हमारी 125 साल की विरासत इस मजबूत विश्वास का प्रतीक है कि बिजनस के लिए एक पायनियरिंग स्पिरिट जरूरी है। साथ ही इनोवेशन की भावना भी जरूरी है। हम जो कुछ भी करें वह उसकी जड़ें स्थाई होनी चाहिए। हमें जुनून रखने वाले लोगों को आगे बढ़ाना चाहिए।”
कंपनी के विजन के बारे में उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल लेवल पर अभी अच्छी मांग है। ऐसे में हम ग्रोथ को अगले लेवल तक ले जाना चाहते हैं। कंज्यूमर साइड की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में रेफ्रिजरेटर्स की कीमत में तेजी आई है। इससे मांग प्रभावित हुई है। हमें अगले 6-7 साल में अपने टर्नओवर दोगुना करने की जरूरत है। इसमें बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि इकॉनमी कैसे आगे बढ़ती है।
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