सूरत : कम पूंजी से कपड़ा कारोबार करना कठिन, डिजिटल पेमेन्ट आज की जरुरत

सूरत :  कम पूंजी से कपड़ा कारोबार करना कठिन, डिजिटल पेमेन्ट आज की जरुरत

पहले के व्यापार और आज के व्यापार में बहुत अंतर हो गया है

सूरत के भटार रोड स्थित टर्निंग प्वाइंट दुकान नंबर 119 में रवि यूनिफार्म के नाम से कपड़ा का कारोबार से जुड़े जोगेंद्र पाल छाबड़ा बताते हैं कि मैंने  1990 में कपड़े के कारोबार से जुड़ा, उस समय सभी प्रकार के कपड़े रखते थे। तब से लेकर अब तक कभी पीछे मुड़कर देखना ही नहीं पड़ा। व्यापार में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव तो ही रहता है। शुरुआत के व्यापार में खर्चा कम होने से पैसे दिखते थे, हाल में खर्चा इतना बढ़ गया है कि पैसा तो दिखता ही नहीं। पहले बेरायटियां कम होती थी, ग्राहक पसंद भी बहुत जल्द कर लेते थे। पहले के व्यापार और आज के व्यापार में बहुत अंतर हो गया है। आज पूंजी का व्यापार हो गया है। छोटे व्यापारियों यानी कम पूंजी से व्यापार करना आज कठिन हो गया है। 

व्यापार हो या नौकरी हमेशा समय एक समान नहीं होता

87 वसंत पार कर चुके जोगेन्द्र पाल छाबड़ा बताते है कि कपड़ा कारोबार शुरु करने के तकरीबन एक दशक बाद स्कूल स्कूल यूनिफार्म बिजनेस में आ गये। स्कूल यूनिफार्म का भी विजनेस लगभग ठीक ही चल रहा है था। परंतु कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज सब बंदो होने से तकरीबन दो साल तक मेरा व्यापार प्रभावित रहा। लेकिन अब कोरोना का कोई प्रभाव नहीं है। व्यापार भी पूर्ववत हो गया है। वे बताते हैं कि व्यापार हो या नौकरी हमेशा समय एक समान नहीं होता। पहले पैसा कम होने से ग्राहक क्वालिटी में समझौता कर लेते था, लेकिन समय के साथ आज व्यापार का रुप भी बदल गया है। ग्राहक अपने मनपसंद और गुणवत्तायुक्त कपड़े ही पसंद करता है। 

व्यापार में नफा नुकसान तो होता रहता है

जोगेन्द्र पाल छाबड़ा बताते हैं कि शुरुआत में कुछ ही स्कूलों के यूनिफार्म ही रखते  थे, लेकिन आज तकरीबन शहर के 40 से 45 विद्यालयों के यूनिफार्म के स्टॉक हमारे यहां उपलब्ध हैं। डिजीटल पेमेन्ट के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि कुछ लोग आते हैं तो पैसे नगद कम होने पर वे गूगल पे, पेटीएम आदि के डिजिटल पेमेन्ट कर देते हैं। डिजिटल पेमेन्ट आज जरुरत हो गई, यह बहुत सहूलियत वाला है इसे बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदमी हिम्मत से काम ले, धैर्य रखें तो जीवन में कोई भी परेशानी उसको डिगा नहीं सकती। व्यापार में नफा नुकसान तो होता रहता है। जोगेन्द्र पाल छाबड़ा एक शायरी ...मुश्कल तुझे कहती है अब काम ना कर, मकसद तुझे कहता है आराम ना कर, उठ बांध के हिम्मत की कमर ऐ नादान आगाज का शर्मिंदा व अंजाम ना कर..इस शायरी के माध्यम से अपनी बात रख दी। 
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