सूरत : नहर में अर्धविसर्जित मूर्तियों का संस्कृतिक रक्षा समिति द्वारा फिर से समुद्र में विसर्जन किया

सूरत : नहर में अर्धविसर्जित मूर्तियों का संस्कृतिक रक्षा समिति द्वारा फिर से समुद्र में विसर्जन किया

पीओपी की प्रतिमाओं का कुत्रिम तालाब और समुद्र में विसर्जन की अधिसूचना के बावजुद लोग नहरों में अवैध रूप से विसर्जन करते है जिससे अर्धविसिर्जत प्रतिमाओं से भक्तों की भावनाए आहत होती है

हर साल भगवान श्रीजी की स्थापना बड़ी आशा से की जाती है लेकिन विसर्जन को लेकर लोगों की निष्क्रियता का सामना हमेशा करना पड़ता है। कई स्थानों पर श्रीजी की मूर्तियाँ अर्धविसर्जित अवस्था में देखी गईं। जिसे सांस्कृतिक रक्षा समिति एवं माधव गौशाला के गौसेवकों द्वारा आज सूरत के डिंडोली, खरवासा, चलथान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नहरों से अर्ध विसर्जित और तैरती पीओपी से बनी 2000 से अधिक गणेश प्रतिमाओं को निकाल कर हजीरा के समुद्र में फिर से विसर्जित किया गया।

नहर में यहां वहां पडी हुई मूर्तियों का सम्मान पूर्वक विसर्जन किया गया


उधना पांडेसरा क्षेत्र की संस्कृतिक रक्षा समिति के 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने विसर्जन के दुसरे दिन सेवा की। यह संस्था विगत 6 वर्षों से शहर की विभिन्न नहरों से अर्द्ध विसर्जित गणेशजी, दशमा की अनेक पीओपी प्रतिमाओं को नहरों से हटा रही है तथा लोगों को पीओपी प्रतिमाओं के स्थान पर मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। 10 दिनों की पूजा के बाद, भक्तों द्वारा देवताओं की मूर्तियों को नहर के गंदे पानी में फेंक दिया जाता है, जिससे हिंदू धर्म की भावनाएं आहत होती हैं।

लगभग दो हजार मूर्तियों का फिर से विसर्जन किया गया 


संस्कृतिक रक्षा समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने कहा कि हम संस्कृति की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन हर बार पुलिस आयुक्त भी घोषणा करते हैं कि केवल मूर्तियों को कुत्रिम झील और समुद्र में विसर्जित किया जाना है। फिर भी लोग पीओपी की प्रतिमां स्थापित करते है और फिर उन्हें नहरों या अन्य जगहों पर गलत तरीके से विसर्जन की प्रक्रिया करते हैं। इस संबंध में हम अलग-अलग स्वयंसेवक हर साल विसर्जन के दूसरे दिन अधिक से अधिक मूर्तियों को इकट्ठा करते हैं और अर्ध विसर्जित भगवान से माफी मांगकर दुबारा फिर से विसर्जित करते हैं।
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